आजमगढ़

कोरोना संक्रमण काल में आर्थिक तंगी के शिकार अभिभावकों पर भारी पड़ रही स्कूलों की मनमानी

एडमीशन से लेकर रजिस्ट्रेशन तक के नाम पर की जा रही है मनमानी वसूली। नेटवर्क समस्या के कारण सही ढंग से संचालित नहीं हो रही आनलाइन क्लास, फिर भी फीस के लिए बनाया जा रहा दबाव। अधिकारियों की कार्रवाई के दावे आदेश निर्देश तक सीमित।

आजमगढ़Aug 05, 2020 / 02:01 pm

रफतउद्दीन फरीद

आनलाइन एजुकेशन

आजमगढ़. कोराना संक्रमण काल में आम आदमी जहां आर्थिक तंगी का शिकार हैं वहीं निजी स्कूल प्रबंधन मालामाल हो रहे है। स्कूलों में एडमीशन फीस से लेकर मासिक फीस तक में भारी इजाफा कर दिया गया है। यहीं नहीं रजिस्ट्रेशन और टेस्ट के नाम पर भी वसूली शुरू हो गयी है। जबकि आनलाइन क्लास के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है। विरोध करने पर बच्चे का भविष्य बबार्द होने की धमकी देकर लोगों को चुप करा दिया जा रहा है।

 

बता दें कि जिले की माध्यमिक तक की शिक्षा व्यवस्था कहीं न कहीं पब्लिक स्कूलों पर निर्भर है। सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, इनकी सीमित संख्या और प्राथमिक जूनियर स्कूलों में शिक्षा का स्तर खराब होने के कारण अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में पढ़ाना लोगों की मजबूरी बन चुकी है। कोरोना संक्रमण में दौरान सरकार ने आन लाइन पढ़ाई का काफी प्रयास किया लेकिन किसी भी सरकारी स्कूल में आज तक आन लाइन पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई। ऐसे में इस बार पब्लिक स्कूलों में भीड़ और बढ़ गयी है। कारण कि सभी को अंदेशा है कि 2020 में स्कूल नहीं खुलने वाले ऐसे में अगर बच्चे घर बैठे रहेंगे तो एक साल बर्बाद हो जाएगा।

 

पब्लिक स्कूलों में बढ़ रही भीड़ को देखते हुए स्कूल प्रबंधन अब मनमानी पर उतर आये है। जिस क्लास की मासिक फीस 500 थी उसे 700 कर दिया गया है। हाई स्कूल व इंटर में तो हद ही हो गयी है। इन कक्षाओं में मासिक फीस में 400 रूपये प्रति माह की वृद्धि की गयी है। यहीं नहीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन का शुल्क 1500 से 2000 और एडमीशन फीस 1700 रूपये ली जा रही है। यही हाल इंटरमीडिएट का है।

 

रहा सवाल आन लाइन क्लास का तो यह सिर्फ औचारिकता बन कर रह गया है। नेटवर्क प्राब्लम बताकर शिक्षक पढ़ाने के बजाय सिर्फ ह्वाट्सएेप पर होमवर्क देकर काम चला रहे हैं। खासबात है कि होमवर्क भी चेक नहीं हो रहा है। उपर से टेस्ट के नाम पर भी वसूली अलग से की जा रही है, जिससे अभिभावक परेशान हैं। सिधारी के अमरजीत सिंह, राहुल पांडेय, मुबारकपुर के बबलू मौर्य, सहियांव के राजेश कुमार, जीयनपुर के उमेश राय, पल्हना के मिथिलेश पांडेय आदि का कहना है कि निजी स्कूलों में इतना शोषण कोरोना काल के पहले नहीं था जितना अब किया जा रहा है। अब तो हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देकर सीधे तौर पर फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है और अपरोक्ष रूप से बच्चे का भविष्य खराब होने की धमकी दी जा रही है। अधिकारी शिकायत को नजरअंदजा कर रहे है। यही नहीं अधिकारी कहते हैं कि फीस की रसीद मांगों और विद्यालय प्रबंधन रसीद देने के लिए तैयार नहीं है।

 

इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक डा. वीके शर्मा का कहना है कि माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत अभिभावकों व छात्र-छात्राओं को निर्देशित किया गया है कि विद्यालय में जमा फीस की प्राप्ति रसीद अनिवार्य रूप से प्राप्त कर लें।यदि कोई विद्यालय प्रशासन रसीद देने में हीला-हवाली कर रहा है तो इसकी शिकायत मोबाइल नंबर-7454453757 पर कर सकते हैं। जिले में संचालित समस्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि निर्धारित शुल्क से अधिक फीस लिया जाता है तो संज्ञान में आने पर आइपीसी के सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।

By Ran Vijay Singh

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