मूलरूप से तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव निवासी सूर्यांश दुबे कम उम्र में ही अपराध की दुनियां में बड़ा नाम बन गया था। उसके खिलाफ आजमगढ़, जौनपुर, मऊ जिले में कई गंभीर मामले दर्ज थे। सूर्यांश ने मामूली विवाद में अपने गांव के ही दलित प्रधान सत्यमेव जयते को 14 अगस्त की शाम गोली मारकर हत्या कर दी थी। सत्यमेंव की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया था। आक्रोशित भीड़ ने बोंगरिया पुलिस चैकी को फूंकने के साथ ही कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना को अंजाम देने के बाद सूर्यांश कुछ ज्यादा ही चर्चा में आ गया था।
यहीं नहीं योगी सरकार को अपने चहते एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह को हटाना पड़ा वहीं थानाध्यक्ष निलंबित किए गए। इस हत्यकांड ने यूपी की राजनीति को नया रंग दे दिया था। कांग्रेस, सपा, बसपा ने इसपर खुलकर राजनीति की तो भीम आर्मी के मुखिया भी चंद्रशेखर भी 20 आजमगढ़ पहुंचे। कांग्रेस ने तो महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राउत सहित दर्जन भर दलित नेताओं को पूरी तरह मैदान में उतार दिया था। यह घटना पुलिस और सरकार दोनों के लिए सिरर्दद बनी थी। वहीं घटना को अंजाम देने के बाद से ही सूर्यांश दुबे फरार चल रहा था।
एडीजी ने सूर्यांश पर एक लाख का ईनाम रखा था जबकि सरकार द्वारा उसपर दो लाख का ईनाम घोषित किया गया था। घटना के सवा तीन महीने बाद तक सूर्यांश खुद को बचाने में सफल रहा। पुलिस उसका सुराग तक नहीं लगा पाई। गुरुवार को सूर्यांश ने आजमगढ़ के एक कारोबारी को मैसेज कर पांच लाख रंगदारी मांगी। इसके बाद पुलिस उसे ट्रेस करने में सफल रही और देर रात सरायमीर थाना क्षेत्र के शेरवां नहर पुलिया के पास उसे गिरफ्तार करने का प्रयास किया लेकिन सूर्यांश ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर स्वाट टीम के प्रभारी और एक आरक्षी को घायल कर दिया। इसके बाद पुलिस द्वारा की गयी जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
BY Ran vijay singh