scriptup assembly election 2022: पहली बार अपने ही बुने जाल में उलझ सकते हैं दारा सिंह चौहान, राह में दिख रहे बड़े रोड़े | Dara Singh Chouhan trouble may increase in UP elections 2022 | Patrika News

up assembly election 2022: पहली बार अपने ही बुने जाल में उलझ सकते हैं दारा सिंह चौहान, राह में दिख रहे बड़े रोड़े

locationआजमगढ़Published: Jan 18, 2022 05:02:14 pm

Submitted by:

Ranvijay Singh

up assembly election 2022 अपनों के बीच मौसम वैज्ञानिक के नाम से मशहूर पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान वर्ष 2022 के चुनाव में अपने ही जाल में उलझते दिख रहे है। दारा सिंह चौहान ने बीजेपी इसलिए छोड़ी क्योंकि पार्टी उन्हें घोसी से टिकट देने के लिए राजी नहीं हुई। अब सपा से भी वे यही उम्मीद रखते हैं लेकिन उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा है सुधाकर सिंह जो पिछला चुनाव मामूली अंतर से हारे थे।

पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान

पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. up assembly election 2022 यूपी विधानसभा चुनाव 2022 दिलचस्प होता दिख रहा है। कारण कि सत्ता की चाह में दल बदल करने वाले नेताओं की राह नई पार्टी में भी आसान नहीं दिख रही है। कारण कि वे नई पार्टी में जिस सीट से टिकट चाहते हैं वहां पहले से दावेदारों की लाइन लगी हैं। अब पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को ही लीजिए। इन्होंने बीजेपी सिर्फ इसलिए छोड़ी क्योंकि पार्टी इन्हें घोसी से टिकट देने के लिए तैयार नहीं हुई लेकिन सपा में जाने के बाद अब दारा सिंह की राह का सबसे बड़े रोड़ा सुधाकर सिंह बन गए हैं जो पिछला चुनाव मामूली अंतर से हारे थे। जबकि इनके पास सपा का सिंबल भी नहीं था। सपा में पार्टी में कलह बढ़ने के डर से सहमी हुई है।

बता दें कि दारा सिंह चौहान एक ऐसे नेता हैं जो हमेशा सत्ता के साथ चलने में विश्वास रखते है। पूर्वांचल में बाहुबली रमाकांत यादव के बाद दारा सिंह चौहान ही ऐसे नेता है जो बसपा, सपा, कांग्रेस और भाजपा का सफर तय कर चुके है। इस समय दोनों ही नेता समाजवादी पार्टी में है। खास बात यह भी है कि दोनों कांग्रेस छोड़कर जिस भी दल में गए वहां सांसद या विधायक बनने में सफल रहे। दारा सिंह तो वर्ष 2017 में कैबिनेट मंत्री भी बन गए। छह दिसंबर 2021 तक दारा सिंह बीजेपी के साथ थे। उन्होंने सगड़ी में मुख्यमंत्री के साथ मंच शेयर किया और अखिलेश यादव पर हमले भी किए लेकिन जनवरी 2022 में वे बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए।

इस बात की जोरदार चर्चा है कि आखिर उन्होंने बीजेपी छोड़ी क्यों?। दारा सिंह के करीबी लोगों और बीजेपी सूत्रों पर विश्वास करें तो दारा सिंह का मधुबन में खुद के लिए खतरा महसूस हो रहा था। उन्हें डर था कि वे चुनाव हार जाएंगे। कारण कि मंत्री बनने के बाद दारा सिंह क्षेत्र में कम रहे। वे चाहते थे कि बीजेपी उन्हें चौहान बाहुल्य सीट घोसी से टिकट दे लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं थी। बीजेपी घोसी से राज्यपाल फागू चौहान के पुत्र को चुनाव लड़ाना चाहती थी। फागू इसी शर्त पर सपा में शामिल हुए कि उन्हें घोसी से टिकट मिलेगा।

अब दारा की दावेदारी से सपा में घमासान मच गई है। घोसी से वर्ष 2017 में फागू चौहान चुनाव जीते थे। जब उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया तो सीट खाली होने पर उपचुनाव हुआ। जिसमें बीजेपी ने विजय राजभर को मैदान में उतारा। सपा समर्थित के रूप में सुधाकर सिंह मैदान में उतरे। सुधाकर सिंह मामूली अंतर से चुनाव हार गए। वर्ष 2022 में सुधाकर सिंह सपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।

वहीं अखिलेश यादव के करीबी राजीव राय भी यहां से लड़ना चाहते है। ऐसे में अगर सपा दारा सिंह को घोसी से मैदान में उतारती है तो सुधाकर सिंह और राजीव राय नाराज हो सकते हैं। सुधाकर सिंह का क्षेत्र में अपना वोट बैंक है। सुधाकर की नाराजगी सपा के लिए घातक हो सकती है। कारण कि सपा पिछले चुनाव में भीतरघात के कारण कई सीट गवां चुकी है। ऐसे में दारा की राह मुश्किल होती दिख रही है।

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