मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने कहा कि कागजों पर मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए कायर, बुजदिल, मूर्ख, अनपढ़, गंवार, अपमानित पुरस्कार दिया जाय। पत्र में कहा है कि संघ 30 जून को मृतक पुनर्जन्म दिवस मनाएगा। उन्होंने बताया कि उनका जन्म छह मई 1955 को मिर्जापुर विकास खंड के खलीलाबाद गांव में हुआ है। तत्कालीन नायब तहसीलदार ने 30 जुलाई 1976 को भू-राजस्व अभिलेखों में उनको मृत घोषित कर दिया था। जिंदा होने के लिए उन्हें 18 साल लड़ाई लड़नी पड़ी और 30 जून 1994 को उनको फिर से कागजों में जिंदा घोषित किया गया।
जिंदा होने के संघर्ष में अमिलो की एक एकड़ जमीन 10 हजार रुपये बिस्वा की दर से बेचनी पड़ी। आज उस जमीन की कीमत साढ़े पांच करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि करोड़ों गंवाने के बाद भी वह न्याय की भीख मांगते रहे। इन संघर्षों पर 2003 में अमेरिका की एक संस्था ने इग्नोबल पुरस्कार देकर मजाक किया है।
उन्होंने बताया कि उनके जैसे तमाम लोग हैं जिन्हें कागज में मार दिया गया है और वे न्याय के लिए अपना लड़ रहे है। बताया कि 30 जून को मृतक पुनर्जन्म दिवस पर मृतक संघ की ओर से आजमगढ़ में कई कार्यक्रम किए जाएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री से कागजों पर मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए अनपढ़, गंवार, कायर, बुजदिल, मूर्ख, अपमानित पुरस्कार देने की मांग की है।
BY Ran vijay singh