जानकारी के अनुसार पशुओं की जांच कर ग्लैंडर्स के पाजिटिव निकलने पर जिलाधिकारी से अनुमति लेने के बाद यूथेनासिया के द्वारा विकास खण्ड मिर्जापुर क्षेत्र के संजरपुर गांव के आतिफ भट्ठा के पास दो मोहम्मद नियाज़ ग्राम मुर्की थाना केराकत जिला जौनपुर और छोटई लाल ग्राम जहगीरगंज( खंडवारी ) थाना सरायमीर के क्रमशः चार और एक कुल पांच घोड़ों को यूथेनासिया इंजेक्शन से मार कर गड्ढे नमक और चूना के साथ दफन कर दिया गया है।
डॉक्टर एन. के मिश्रा ने बताया हे कि ग्लैंडर्स एक ऐसी बिमारी है जो पहले पशुओं में उसके बाद मनुष्यों में हो जाती है इस बिमारी का अभी तक कोई उपचार नही निकाला है इसलिए जिन पशुओं में इस बिमारी की जानकारी हो जाती है उन्हें मार दिया जाता है ताकि वह बिमारी मनुष्यों को ना हो जाए । आगे उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति के पशु ग्लैंडर्स बिमारी के कारण मारे गए हैं उन्हें सरकार के द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। इस मौके पर सीडीओ वी. के. सिंह विकास खण्ड मिर्जापुर चिकित्सा प्रभारी एम. एन. गुप्ता के साथ चिकित्सकों की टीम मौजूद थीं ।
क्या हैं ग्लैंडर्स ग्लैंडर्स बीमारी एक संक्रामक रोग है। इस बीमारी के बैक्टीरिया सेल में प्रवेश कर जाते हैं। इलाज से भी यह पूरी तरह नहीं मरते हैं। ऐसे में दूसरे जानवर और इंसान भी इससे संक्रमित हो जाते हैं। यह बीमारी ऑक्सीजन के जरिये फैलती है। शरीर में गांठे पड़ जाती हैं। गांठों में संक्रमण होने के कारण घोड़ा उठ नहीं पाता है और बाद में उसकी मृत्यु हो जाती है। बता दें कि इंसानों को भी संपर्क में आने से ये बीमारी हो सकती है. यह बीमारी बैक्ट्रिया से होने वाली बीमारी है. इसमें 106 डिग्री तक बुखार आता है और साथ-साथ खूब छींकें भी आती हैं। इस बीमारी से ग्रसित जानवरों को मारकर 4 फीट गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए या फिर जला देना चाहिए।
लक्षण
जुकाम होना (लसलसा पदार्थ निकलना)
श्वासनली में छाले
फेफड़े में इन्फेक्शन
बचाव के लिए क्या करें
पशु को समय पर ताजा चारा-पानी देना
बासी खाना न दें
गले व पेट में गांठ पड़ जाना
ज्यादा देर तक मिट्टी-कीचड़ में न रहने दें
साफ-सफाई का ध्यान रखना
गर्मी में नहलाना
दवाओं का छिड़काव जरुर करें
बीमार पशुओं के नजदीक न जाने दें
जुकाम होना (लसलसा पदार्थ निकलना)
श्वासनली में छाले
फेफड़े में इन्फेक्शन
बचाव के लिए क्या करें
पशु को समय पर ताजा चारा-पानी देना
बासी खाना न दें
गले व पेट में गांठ पड़ जाना
ज्यादा देर तक मिट्टी-कीचड़ में न रहने दें
साफ-सफाई का ध्यान रखना
गर्मी में नहलाना
दवाओं का छिड़काव जरुर करें
बीमार पशुओं के नजदीक न जाने दें