बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही पूर्वांचल की सियासत गरम हो गयी है। योगी के चुनाव लड़ने से पूर्वांचल में पड़ने वाले इफेक्ट को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी चाहती है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ें। वर्ष 2014 में भी ऐसा हुआ था। जब पीएम मोदी ने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से मैदान में उतरे थे। उस समय हवलदार यादव और बलराम यादव को टिकट देने के बाद काटकर उन्हें मैदान में उतारा गया था। मुलायम सिंह आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतने में सफल हुए थे।
इसके बाद वर्ष 2019 में अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़कर सांसद चुने गए। इससे एक बार फिर इन नेताओं का चुनाव लड़ने का सपना टूट गया था। अब योगी के गोरखपुर से लड़ने के बाद आजमगढ़ से अखिलेश के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। अखिलेश यादव कह भी चुके हैं आजमगढ़ की जनता अगर चाहेगी तो चुनाव लड़ेंगे। यहीं नहीं पार्टी भी चाहती है कि वे यहां से चुनाव लड़े। गोपालपुर विधायक नफीस अहमद और अतरौलिया विधायक संग्राम यादव ने अखिलेश को पत्र लिखकर अपनी सीटों से चुनाव लड़ने को कहा है लेकिन जिला इकाई चाहती है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़े। इस सीट पर पिछले आठ बार से सपा के दुर्गा प्रसाद यादव का कब्जा है। अब तक सिर्फ सपा बसपा गठबंधन में 1993 में दुर्गा चुनाव हारे हैं। ऐसे में अगर अखिलेश आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ते हैं तो बाहुबली दुर्गा का राजनीतिक भविष्य खतरे में होगा। कारण कि बाकी की नौ सीटों पर दावेदारों की लंबी फेहरिश्त है। जहां से दुर्गा को टिकट मिलना मुश्किल है।