जिले में बड़े पैमाने पर आम की खेती जिले में बड़े पैमाने पर आम की खेती होती है। निजामाबाद क्षेत्र को तो मिनी मलीहाबाद कहा जाता है। निजामाबाद तहसील क्षेत्र के परसहां, नेवादा, बड़हरिया, बनगांव, सिहींपुर, मिर्जापुर, मोहनाट, शाहपुर, मुइयां, संजरपुर, खोदादादपुर, असीलपुर, अहरौला ब्लाक के असिलाई, फुलवरिया, खजुरी सहित तीन दर्जन गांवों में आम की सर्वाधिक खेती होती है। छोटे किसान आम में बौर लगते ही बाग को बेच देते है। वहीं बड़े किसान खुद ही उत्पादन कर आम को मंडी तक पहुंचाते हैं। इस बार आम की फसल भी काफी अच्छी थी। किसानों को उम्मीद थी कि वे फसल बेचकर रबी के नुकसान की भरपाई कर लेंगे, लेकिन मौसम ने किसानों की आस तोड़ दी। फरवरी माह से ही लगातार आ रही आंधी और तूफान ने आम की फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया। थोड़ी बहुत जो फसल बची थी वह पिछलेे तीन दिनों से लगातार आ रहे तूफान में बर्बाद हो रही है।
आंधी-तूफान के चलते फसल बर्बाद आम के फल में अभी जाली भी नहीं पड़ी है लेकिन तूफान में वह गिर जा रहे हैं, जिसके कारण उसकी बिक्री अचार के लिए भी नहीं हो पा रही। किसान की उम्मीद लगातार डूब रही है। मौसम का रूख देख किसान अब भी सहमें हुए हैं। आम की खेती करने वाले बड़ेगांव के हारून शेख, वीरेंद्र मिश्र, दिनेश चंद्र मिश्र, फरिहां के छोटुकू, शाह आलम, बरखू, बड़हरिया के लाडिल शेख, मोहनाट के त्रिलोकी पांडेय, मुइया के चंद्रभान तिवारी, परसहां के हरिमंदिर पांडेय, छेदी सोनकर, अहरौला के रामजीत सिंह, अनिल सिंह, उपेंद्र आदि का कहना है कि इस बार फसल काफी अच्छी थी। हमें उम्मीद थी कि रबी के फसल के नुकसान की भरपाई आम की फसल से हो जाएगी लेकिन फल लगने के साथ ही मौसम का कहर शुरू हुआ जो आज तक जारी है। अब तक 80 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है। 20 प्रतिशत जो फसल बची है उसपर भी मौसम की तलवार लटक रही है। जो हालात है इस बार उस हिसाब से तो आम का बाजार तक पहुंचना मुश्किल ही है।
हुआ भारी नुकसान कृषि वैज्ञानिक डा. आरके सिंह व डा. रूद्र प्रताप सिंह का कहना है कि इस बार आम की फसल काफी अच्छी थी लेकिन बेमौसम बरसात और तूफान ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। अभी मौसम का रूख ठीक नहीं है। अब अगर आंधी-तूफान आता है तो बची फसलें भी बर्बाद हो जाएंगी। वहीं अब से अगर मौसम ठीक हुआ तो किसान बची हुई फसल से कुछ आमदनी कर सकता है, लेकिन मौसम का रूख देख कुछ भी कह पाना मुश्किल ही है।