बता दें कि आजमगढ़ जैसे जिले में कुल आबादा का 83 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है। सीजन में किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर पिछले कुछ वर्षो में साधन सहकारी समितियों के डिफाल्टर होने के बाद यह परेशानी और बढ़ी है। पिछले दिनों खाद की कालाबाजारी के चलते खरीफ की फलस प्रभावित हुई। इसलिए सरकार ने एक तीर से दो शिकार करने का फैसला किया है।
कारोना संकट के चलते हुए लाकडाउन के बाद बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को खाद का लाइसेंस देने का फैसला किया गया है। इससे एक तरफ जहां रोजगार के अवसर बढ़ेगे वहीं किसानों की परेशानी भी कम होगी।
इस योजना के तहत हाई स्कूल पास युवक खाद का लाइसेंस हासिल कर दुकान खोल सकता है। बस इच्छुक युवाओं को कृषि विभाग से 15 दिनों की विशेष योग्यता ट्रेनिग लेने के बाद एक परीक्षा पास करनी होगी। खास बात है कि परीक्षा में सिर्फ 15 दिन में दी गयी ट्रेनिंग से संबंधित ही सवाल पूछे जाएंगे।
सरकार की इस योजना में अब तक 90 युवाओं ने रुचि दिखाई है। कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां में 30 युवाओं ने ट्रेनिग पूरी भी कर ली है। प्रशिक्षण में यूरिया, कीटनाशक, रसायन इत्यादि के बारे में जानकारी दी जा रही है। सरकार का ऐसा मानना है कि लाइसेंस लेने वालों को प्रशिक्षित होना चाहिए।
जिला कृषि अधिकारी डा. उमेश गुप्ता का कहना है कि सरकार के इस फैसले से गांव में रोजगार के अवसर बढ़ेगे। पहले कृषि व कीटनाशक दवाएं इत्यादि की बिक्री संबंधी लाइसेंस के लिए बीएससी एग्रीकल्चर या फिर डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर इत्यादि कोर्स की जरूरत पड़ती थी। जिससे चाहकर भी लोग लाइसेंस नहीं ले पाते थे। अब यह बाध्यता समाप्त कर दी गयी है। हाई स्कूल पास भी लाइसेंस ले सकते हैं। बशर्ते उन्हें 15 दिनों की ट्रेनिग लेने के साथ ही परीक्षा भी पास करनी होगी। फिलहाल 30 लोग ट्रेनिग ले चुके हैं। 90 लोगों को ट्रेनिग कराई जानी है।
BY Ran vijay singh