बता दे दरोगा प्रसाद सरोज को सपा के दबंग नेताओं में गिना जाता था। लालगंज संसदीय क्षेत्र से वह दो बार सपा के सांसद चुने गए । वर्ष 2014 में वह इस उम्मीद से भाजपा में शामिल हुए थे कि पार्टी उन्हें टिकट देगी लेकिन ऐसा हुआ। नहीं बाहुबली रमाकांत के दबाव के बाद भी पार्टी ने नीलम सोनकर को मैदान में उतारा और वह मोदी लहर में सांसद चुनी गई । वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दरोगा प्रसाद सरोज को लालगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया लेकिन वह बसपा प्रत्याशी अरिमर्दन आजाद से हार गए। इससे वर्ष 2019 में उनकी टिकट की दावेदारी और भी कमजोर पड़ गई। राजनीतिक कैरियर खतरे में देख दरोगा प्रसाद सरोज अपने लिए नई जमीन की तलाश शुरू कर दिए हैं। दरोगा प्रसाद सरोज पिछले 4 माह से सपा का दरवाजा खटखटा रहे थे।
सूत्रों की माने तो अखिलेश ने दरोगा प्रसाद सरोज की वापसी को हरी झंडी भी दे दिया था लेकिन टिकट को लेकर चर्चा जारी थी । इसी बीच सीटों का बंटवारा हुआ तो लालगंज संसदीय सीट बसपा के खाते में चली गई । बसपा से डॉक्टर बलिराम दो बार लालगंज से सांसद रह चुके हैं जो मायावती के बेहद करीबी हैं। वही इस बार इस सीट से मायावती ने पहले ही पूर्व मंत्री घुराराम को टिकट दे दिया है। ऐसे में दरोगा प्रसाद सरोज के लिए गठबंधन से टिकट का दरवाजा बंद हो गया । दरोगा के करीबी लोगों का माने तो वे चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है । इसके लिए वे कांग्रेस के संपर्क में हैं । लालगंज क्षेत्र में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। पिछला चुनाव कांग्रेस ने बलिहारी बाबू को लड़ाया था लेकिन वे बाद में बसपा में चले गए । ऐसे में कांग्रेस को भी एक मजबूत नेता की तलाश है। दरोगा प्रसाद सरोज उसके लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें पार्टी में शामिल करने के साथ ही टिकट भी दे सकती है ।अगर दरोगा कांग्रेस के साथ जाते हैं लालगंज क्षेत्र में भाजपा की चुनौती काफी बढ़ जाएगी। पासवान मतों में उनकी गहरी पैठ है। पिछले चुनाव में भाजपा की जीत का बड़ा कारण खटीक, पासी समाज का पार्टी के साथ होना था।
BY- Ranvijay Singh