मूल रूप से आजमगढ़ जिले के शेखपुरा बद्दोपुर गांव के रहने वाले फागू चौहान ने वर्ष 1985 में चौधरी चरण सिंह की दलित मजदूर किसान पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। पार्टी ने वर्ष 1985 के चुनाव में ही उन्हें घोसी सीट से मैदान में उतारा और फागू विधायक चुन लिए गए। इसके बाद फागू वर्ष 1989 का चुनाव इसी सीट से जनता दल से लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1991 के के विधानसभा चुनाव में फिर वे इसी सीट से विधायक चुने गए लेकिन वर्ष 1993 का चुनाव फिर हार गए। इसके बाद वर्ष 1996 में फागू बीजेपी में शामिल हो गए और टिकट भी हासिल कर लिया। क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधायक बना दिया। 1997 में उन्हें रामप्रकाश गुप्त एवं राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में संस्कृति, पूर्त धर्मस्व तथा पशुधन एवं मत्स्य विभाग का मंत्री बनाया गया। वर्ष 2002 में चौदहवीं विधानसभा में चौथी बार भाजपा से विधायक निर्वाचित हुए और बसपा के साथ बनी गठबंधन की सरकार में कारागार एवं जेल सुधार मंत्री बने। इसके बाद वर्ष 2006 में वे बसपा में शामिल हो गए तथा 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर सदन में पहुंचे। मुख्यमंत्री मायावती के मंत्रिमंडल में परिवार कल्याण मंत्री और बाद में राजस्व मंत्री का पद संभाले।
2012 के चुनाव में वे सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह से हार गए थे। वर्ष 2014 में मोदी लहर पुनः भाजपा में वापसी किए और वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद उन्हें राज्य पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष मनोनीत कर काबीना मंत्री का दर्जा प्रदान किया था। 20 जुलाई को उन्हें बिहार का राज्यपाल मनोनीत किया गया। राज्यपाल मनोनीत होने के बाद फागू चौहान ने विधानसभा की सदस्यता से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया।
BY- RANVIJAY SINGH