किसानों की यह नाराजगी आजमगढ़ में सामने आयी है। यहां नेशनल हाइवे- 233 (वाराणसी-लुम्बिनी) के निर्माण के लिये बजट तो मुहैया करा दिया और सड़क भी बनने लगी। पर इस सड़क के लिये जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गयी थी, उनमें से कई किसानों को मुआवजा अब तक नहीं मिला। हालात यहां तक पहुंच गए कि अब कई नाराज किसानों ने हाइवे पर ही अस्थायी घर बना लिया। बजाय इसके कि किसानों की समस्या दूर कर उन्हें मुआवजा दिलाने में मदद करें, प्रशासनिक मशीनरी चैन की बंसी बजा रही है। लचर प्रशासनिक रवैये से नेशनल हाइवे निर्माण में लगी कार्यदायी एजेंसी भी परेशान है। हालत ये है कि किसानों के मकान बना लेने के बावजूद भी कुंभकर्णी नींद में सोए योगी के प्रशासनिक अधिकारियों की नींद नहीं खुल रही है। इस मामले पर जिलाधिकारी शिवाकांत द्धिवेदी का कहना है उनके संज्ञान में यह मामला अब आया है। वे इसकी जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी।
18 हजार किसानों से ली गयी 400 हेक्टेयर से अधिक जमीन राष्ट्रीय राज्यमार्ग- 233 (वाराणसी-लुम्बनी) वाराणसी की तरफ से लालगंज तहसील के कंजहित से लेकर बूढ़नपुर तहसील के लोहरा तक कुल 98.400 किलोमीटर तक फोरलेन रोड जनपद में बननी है। सड़क निर्माण के लिए करीब 18 हजार किसानों की कुल 400.2424 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। भूमि अधिग्रहण के लिए केन्द्र ने से धनराशि जारी कर लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को किसानों को जमीन का मुआवजा देकर उसे कार्यदायी एजेंसी को सौंपने का जिम्मेदारी दी। कार्यदायी एजेंसी को दिसम्बर 2018 में काम पूरा किये जाने का निर्देश भी दिया गया था। पर किसानों के मुआवजे में भ्रष्ट्राचार का खेल शुरू हो गया। किसान अपनी जमीन के मुआवजे के लिये दफ्तर के चक्कर काटने लगे। आरोप हे कि मुआवजे में दो से तीन प्रतिशत कमीशन के चक्कर में किसानों का मुआवजा नहीं मिला।
जमीन न छोड़ने पर अड़े किसान, बढ़ती जा रही लागत मुआवजे में भ्रष्टाचार के खेल के बाद महराजपुर गांव के कुछ किसानों ने निर्माण पूरा हो चुके एनएच पर अस्थाई रूप से मकान बनाकर ‘मुआवजा नहीं तो रोड नहीं’ का बोर्ड भी लगा दिया है। कुछ बिना मुआवजा जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
कार्यदायी संस्था को पहले एनएच निर्माण कार्य दिसम्बर 2018 में पूरा करना था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर मार्च 2019 तक कर दिया गया था। लेकिन मुआवजे के न मिलने से किसान अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं। इसके चलते माना जा रहा है कि जहां एनएच निर्माण में देरी हो रही है वहीं लागत भी बढ़ती जा रही है।
कमीशन को मना किया, इसलिये नहीं मिला मुआवजे का 60 लाख महराजपुर के किसान वसीम अहमद का कहना है उनको मकान का मुआवजा दिया गया। जिसके बाद कार्यदायी एजेंसी ने मकान को गिराकर रोड बना लिया। इसमें भी सीआरओ कार्यालय के लोगों ने कमीशन लिया था। रोड बनने के बाद भी उनकी जमीन का मुआवजा करीब 60 लाख रूपये नहीं मिला। अधिकारियों को कमीशन देने के लिए उनके पास रूपये नहीं है। इसलिए मुआवजे की रकम उनको नही मिल रही है। जिसके बाद उन्होने निर्माण पूरा हो चुके एनएच पर अस्थाई रूप से मकान का निर्माण करा लिया।
By Ran Vijay Singh