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सावधान! आलू की फसल में लग सकता है झुलसा रोग, किसान करें यह काम

locationआजमगढ़Published: Jan 19, 2022 02:19:23 pm

Submitted by:

Ranvijay Singh

एकाएक गलन बढ़ने से जहां गेहूं की फसल को फायदा हुआ है वहीं दूसरी तरफ पाला गिरने से आलू की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। कई स्थानों फसल इस रोग से प्रभावित भी हो रही है। ऐसे में उत्पादन गिरने का खतरा बढ़ गया है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसान कुछ उपाय कर इस रोग से फसल को बचा सकते हैं।

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. एकाएक मौसम में हुए परिवर्तन के बाद गलन काफी बढ़ गयी है। इंसान के साथ इसका असर फसलों पर भी दिख रहा है। आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। कई जगह फसल इस रोग से प्रभावित भी है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सतर्क किया है। कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. आरपी सिंह का कहना है कि किसानों को यदि आलू के पौधों की पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे नजर आएं तो सतर्क हो जाएं। यह झुलसा के लक्षण हो सकते हैं। यह धब्बे पत्ते को सुखा देते हैं। पत्तियां तक रोग पहुंचने पर अधिक नुकसान नहीं होता है। यदि यह रोग तने तक पहुंच गया तो फसल बर्बाद हो सकती है। पौधा दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाता है। इसलिए इन धब्बों को तने तक पहुंचने से रोकने के लिए तत्काल फंफूदीनाशक का छिड़काव करें। इससे फसल को बचाया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि जनवरी माह में बरसात के बाद खेतों में नमी बनी हुई है। उपर से शीतलहर भी काफी बढ़ गयी है। कुछ स्थानों पर पाला भी पड़ रहा है। शीत पड़ने से मौसम में नमी अधिक होती जा रही है। मिट्टी में 80 प्रतिशत से ज्यादा नमी होने पर आलू में झुलसा रोग की आशंका बढ़ जाती है। झुलसा रोग चंद दिन में ही फसल को पूरी तरह बर्बाद कर देता है। इससे उत्पादन काफी कम हो जाता है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

ऐसे में किसान किसी भी फफूंदीनाशक जैसे साइमोक्सेनिल और मैंकोजेब की तीन किलोग्राम मात्रा लेकर उसे एक हजार लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें। डाईमथुवेट मार्क एक किलो, मैन्कोजेब दो किलो, कुल तीन किलो मिश्रण बनाकर प्रति हेक्टेयर एक हजार लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं। फफूंदीनाशक को 10 दिन में दोहराया जा सकता है। बीमारी के हिसाब से इसका समय घटा-बढ़ा लें।

उन्होंने बताया कि आलू को छोड़ दिया जाय तो गेहूं और मटर की फसलों के लिए यह मौसम फायदेमंद है। ठंड में यह फसल अच्छी होती है। मार्टीनगंज के किसान सियाराम मौर्य, अर्जुन मौर्य बताते हैं कि गत दिनों हुई बरसात के कारण ज्दातर खेतों में हल्का पानी लग गया था। इससे आलू के खेतों में नमी बनी हुई है। फसल में पाला भी लग रहा है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी आलू की फसल प्रभावित होने की उम्मीद है। यह मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा है। इसमें ओस की बूंदे पत्तियों पर रहती हैं। जिससे उनमें नमी बनी रहती है। इसमें गेहूं, मटर, सरसों के दाने की बढ़वार अच्छी होती है।

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