उन्होंने बताया कि जनवरी माह में बरसात के बाद खेतों में नमी बनी हुई है। उपर से शीतलहर भी काफी बढ़ गयी है। कुछ स्थानों पर पाला भी पड़ रहा है। शीत पड़ने से मौसम में नमी अधिक होती जा रही है। मिट्टी में 80 प्रतिशत से ज्यादा नमी होने पर आलू में झुलसा रोग की आशंका बढ़ जाती है। झुलसा रोग चंद दिन में ही फसल को पूरी तरह बर्बाद कर देता है। इससे उत्पादन काफी कम हो जाता है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
ऐसे में किसान किसी भी फफूंदीनाशक जैसे साइमोक्सेनिल और मैंकोजेब की तीन किलोग्राम मात्रा लेकर उसे एक हजार लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें। डाईमथुवेट मार्क एक किलो, मैन्कोजेब दो किलो, कुल तीन किलो मिश्रण बनाकर प्रति हेक्टेयर एक हजार लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं। फफूंदीनाशक को 10 दिन में दोहराया जा सकता है। बीमारी के हिसाब से इसका समय घटा-बढ़ा लें।
उन्होंने बताया कि आलू को छोड़ दिया जाय तो गेहूं और मटर की फसलों के लिए यह मौसम फायदेमंद है। ठंड में यह फसल अच्छी होती है। मार्टीनगंज के किसान सियाराम मौर्य, अर्जुन मौर्य बताते हैं कि गत दिनों हुई बरसात के कारण ज्दातर खेतों में हल्का पानी लग गया था। इससे आलू के खेतों में नमी बनी हुई है। फसल में पाला भी लग रहा है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी आलू की फसल प्रभावित होने की उम्मीद है। यह मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा है। इसमें ओस की बूंदे पत्तियों पर रहती हैं। जिससे उनमें नमी बनी रहती है। इसमें गेहूं, मटर, सरसों के दाने की बढ़वार अच्छी होती है।