आजमगढ़

एकीकृत कीट प्रबन्धन पर ध्यान दें किसान, बढ़ जायेगा फसल का उत्पादन

खेती में लगातार नुकसान उठा रहे किसान एकीकृत कीट प्रबंधन के जरिए न केवल खेती की लागत कम कर सकते हैं बल्कि उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं। एकीकृत कीट प्रबंधन के संबंध में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगातार किसानों को जागरूक करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

आजमगढ़Jan 24, 2022 / 12:55 pm

Ranvijay Singh

प्रतीकात्मक फोटो

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. एकीकृत कीट प्रबन्धन (आईपीएम) किसानों के लिए काफी लाभकारी है। इसे अपनाने से फसल का उत्पादन बढ़ सकता है। साथ ही इससे खेत के जीवांश भी सुरक्षित रहेंगे। राज्य औद्योगिक मिशन एवं सघन क्षेत्रों में व्यवसायिक औद्यानिक विकास योजना अन्तर्गत आईपीएम प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत किसानांे को अनुदान भी दिया जाता है।

क्या है आईपीएम
कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा के सस्य वैज्ञानिक आरके सिंह के मुताबिक आईपीएम ऐसा प्रबंधन है जिसमें कृषि से सम्बन्धित विभिन्न परिस्थितियों एवं पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाते हुए नासी कीट, रोगों और खरपतवार के नियंत्रण की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इससे नासी जीवों की संख्या, सघनता इत्यादि नियंत्रित होते हैं।

सस्य क्रियाओं का प्रबन्धन
इसमें हम यह ध्यान देते हैं कि सस्य क्रियाएं नासी जीवों के प्रतिकूल और मित्रकीटों के अनुकूल हों। साथ ही यह भी ध्यान दें कि उचित फसल चक , गर्मी की जोताई, सही फसलों का चुनाव व बोआई अथवा रोपण का निश्चित समय होना चाहिए।

जैविक नियंत्रण
टमाटर में फलभेदक कीट सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए ट्राइकोग्रामा का प्रयोग करें। सफेद मक्खी, हरा फफूदा, माहू आदि की रोकथाम के लिए क्राइसोपारला कार्निया नामक परजीवी 50 हजार प्रति हेक्टेअर की दर से 10 दिन के अंतर पर तीन बार छोड़ें। गोभी की हरी सूड़ी, भिंडी के तना एवं भलभेदक, बैगन के फलभेदक कीटों की रोकथाम के लिए एनपीबी का 350 एलई का घोल प्रति हेक्टेअर दोपहर बाद छिड़काव करें।

यांत्रिक नियंत्रण
फसल में नजर आने वाले कीटों को पकड़कर नष्ट कर दें। फेरोमोनट्रैप, लाइटट्रैप आदि के प्रयोग द्वारा फलभेदक कीटों व मक्खियों को भ्रमित कर नष्ट किया जा सकता है।

Home / Azamgarh / एकीकृत कीट प्रबन्धन पर ध्यान दें किसान, बढ़ जायेगा फसल का उत्पादन

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.