प्रधानाचार्य त्रिवेणी भार्गव 31 मार्च 2018 को सेवानिवृत्त हो गए थे। आरोप है कि वर्ष 2005 से 2008 तक विद्यालय बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन एवं संकलन केंद्र बनाया गया था। उत्तरपुस्तिकाओं को भेजने हेतु पूर्व प्रधानाचार्य ने विद्यालय की दुकान फंड से तीन लाख रुपया ऋण लिया था। यह धनराशि उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा प्रदान कर दी गई थी।
इसके बावजूद उन्होंने दुकान फंड में धनराशि जमा नहीं किया। आरोप यह भी है कि विद्यालय के छह शिक्षक व कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका रिटायर्ड होने के बाद भी उन्होंने वर्तमान प्रधानाचार्य को नहीं दिया। इस आधार पर वर्तमान प्रधानाचार्य ने न्यायालय की शरण ली और न्यायालय के आदेश पर धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।