बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फसल अवशेष जलाने पर 2500 से लेकर 15000 रूपये तक अर्थदंड तक की व्यवस्था की गयी है। किसानों को पराली न जलानी पड़े इसके लिए प्रशासन ने पशु पालन विभाग को पुआल गोशाला तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस पर आने वाला खर्च मनरेगा से करने की बात कही गयी है लेकिन इस कार्य में न तो प्रधान रूचि ले रहे हैं और ना ही पशुपालन विभाग।
यहीं नहीं प्रशासन ने कंबाइन में रीपर आदि ऐसे यंत्र लगाने का निर्देश दिया है जिससे पराली के छोटे छोटे टुकड़े हो जाए। सभी कंबाइनों पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का भी निर्देश दिया गया है लेकिन न तो कंबाइनों में यंत्र लगे और ना ही उसके साथ कोई कर्मचारी लगाया गया है। रबी की बोआई के लिए किसान पराली प्रबंधन न होने पर जलाने को मजबूर हो रहे हैं।
वहीं प्रशासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के बजाय अब किसानों को ही टार्गेट कर रहा है। शनिवार को लेखपाल मदन मोहन राय ने मुहम्मदपुर गांव निवासी बरसाती पुत्र श्यामलाल के खिलाफ जीयनपुर कोतवाली में पराली जलाने पर मुकदमा दर्ज कराया। इस कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। लेखपाल का कहना है कि अधिकारियों की सख्त हिदायत है कि पराली नहीं जलनी चाहिए। अगर कहीं पराली जलती है तो लेखपाल और प्रधान की जिम्मेदारी है कि संबंधित के खिलाफ कार्रवाई कराये।
BY Ran vijay singh