बता दे कि पिछले तीन महीने से अधिक समय से आगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का एक संघटन मानदेय सहित 19 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा था। कुछ दिनों पूर्व दूसरे संगठन ने भी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान संगठन ने शासन की किसी योजना में काम नहीं किया।
आंदोलनरत आंगनबाडी लगातार मांग कर रही है कि उनका मानदेय बढ़ाकर 15000 रुपये मासिक किया जाए और राज्य कर्मचारी का दर्जा आदि दिया जाए। हालांकि सरकार ने उनके पूर्व के मानदेय में वृद्धि की है, लेकिन आंगनबाड़ी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनके हड़ताल पर जाने से राज्य पोषण मिशन सहित अनेक योजनाओं का कार्य प्रभावित हो रहा है।
हाल ही में आयोजित बच्चों के वजन दिवस का भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने विरोध किया था। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार नहीं मिल रहा है। इसका दुष्परिणाम भी दिखने लगा है। पिछले एक माह में पांच वर्ष तक के अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में सुधार होने के बजाय बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इसके पीछे पिछले तीन माह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आंदोलन व कार्य बहिष्कार बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि जिले की 23 बाल विकास परियोजनाओं में पांच वर्ष तक के कुल 5,59,440 बच्चे हैं। इसमें वजन किए गए बच्चों की संख्या 4,89,474 हैं जिसमें अक्टूबर में सामान्य बच्चों की संख्या 3,44,764 थी, जो नवंबर में घटकर 3,25,258 हो गई। सीडीपीओ की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 34,650 थी, जो नवंबर में बढ़कर 39,771 हो गई। यानि जिले में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में 5121 की वृद्धि हुई है जो कहीं से भी अच्छे संकेत नहीं हैं। अतिकुपोषित की श्रेणी में जाने के बाद कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है। अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार कुपोषित बच्चों की संख्या 1,35,685 थी, जो नवंबर में घटकर 1,04,939 हो गई।
अब भी आगनबांडी कार्यकत्रियों के एक घड़े का हड़ताल जारी है। इनका कहना है कि जब तक मानदेय सहित अन्य मांगे पूरी नहीं हो जाती है तब त कवे हड़ताल से नहीं लौटेंगी। सरकार द्वारा वेतन रोकने का भी इनपर कोई असर नहीं है। ऐसी परिस्थिति में आने वाले समय में स्थित और भी भयावह हो सकती हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी पवन कुमार यादव का कहना है कि सीडीपीओ के निर्देशन में बच्चों का वजन कराया जाता है। उनका सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया होता है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की हड़ताल से कुछ प्रभाव पड़ा है। बावजूद इसके अति कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है।