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भोपाल

शरीर पर मिले चोटों के निशान से उलझी कैदी की मौत की गुत्थी

प्रेमिका की हत्या करने के आरोप में नसरूल्लागंज जेल में बंद कैदी शुभम पुत्र राजू चौहान की गर्दन, पीठ और हाथ पर मिले चोट के निशानों

भोपालNov 02, 2015 / 11:00 am

आम डेस्क

सीहोर। प्रेमिका की हत्या करने के आरोप में नसरूल्लागंज जेल में बंद कैदी शुभम पुत्र राजू चौहान की गर्दन, पीठ और हाथ पर मिले चोट के निशानों से मौत की गुत्थी उलझ गई है। युवक के शरीर पर चोट के निशान देखने के बाद परिजन ने न्यायिक मजिस्टे्रट पीके सिंह से सीहोर के बजाय भोपाल पीएम कराने की मांग की है।

परिजन की मांग पर मजिस्ट्रेट पीके सिंह ने पुलिस को शव पोस्टमार्टम के लिए भोपाल भेजने के आदेश दिए हैं। युवकी मौत को लेकर परिजन पुलिस को दोषी बता रहे हैं। शुभम के पिता राजू चौहान ने बताया कि पुलिस युवक को हत्या के प्रकरण में पूछताछ के लिए थाने ले गई थी। हत्या के मुख्य आरोपी को बचाने के लिए पुलिस ने रूपए लेकर युवक की हत्या की साजिश रची है।

जानकारी के अनुसार बकतरा गांव में 18 वर्षीय प्रतीक्षा पुत्री राजेन्द्र चौहान की हत्या के आरोप में शाहगंज पुलिस ने बुधवार की देर शाम को शुभम चौहान और हेमंत चौहान पुत्र रमेश चौहान को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि शुभम चौहान बीए प्रथम वर्ष की छात्रा प्रतीक्षा से प्रेम करता था। युवक युवती पर शादी के लिए घर से भागने के लिए दबाव बना रहता था, युवती ने शादी से इंनकार किया तो युवक ने अपने दोस्त हेमंत चौहान के साथ मिलकर बुधवार अलसुबह घर में घुसकर चाकू से 11 बार प्रहार कर हत्या कर दी।

हत्या का प्रकरण दर्ज कर गुरूवार को पुलिस ने दोनों युवकों बुदनी कोर्ट में पेश किया, जहां से नसरूल्लागंज जेल भेज दिया, लेकिन शुक्रवार को जेल में युवक की तबियत खराब हुई और जेल के मुख्य पहरी बिजलाल उईके और राजेश गीते नसरूल्लागंज अस्पताल लेकर आए। नसरूल्लागंज से डॉ. मुकीम अहमद युवक को भोपाल हमीदिया अस्पताल रेफर किया, लेकिन जेल स्टाप युवक को सीहोर लेकर आया। सीहोर अस्पताल में डॉ. पीके तोमर ने युवक को मृत घोषित कर दिया।

जेल के मुख्य प्रहरी से हाथापाई

सीहोर में मरूचुरी रूम से जांच करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट और डॉक्टरों के निकलने के आक्रोशित लोगों ने मुख्य पहरी बिजलाल उईके से कैदी की मौत को लेकर पूछताछ शुरू कर दी। मुख्य पहरी सवालों के जबाव दिए बिना ही फोन पर बात करने लगे, जिसे लेकर कुछ युवाओं ने उनके साथ हाथापाई शुरू कर दी। मुख्य पहरी उईके के साथ हाथापाई हो ही रही थी कि कोतवाली टीआई निरंजन शर्मा की गाड़ी पहुंच गई।

मृतक के परिजन के सवाल

पुलिस ने मारपीट नहीं की तो युवक के शरीर पर चोट के निशान कैसे आए।
नसरूल्लागंज से भोपाल रेफर किया गया तो जेल स्टाप सीहोर क्यों लाया।
युवक की मौत की सूचना हमें करीब 14 घंटे बाद पुलिस ने दी है। समय पर सूचना क्यों नहीं दी।
पुलिस ने शुभम को हत्या का मुख्य आरोपी किस आधार पर बनाया है।
युवक को घर से पूछताछ करने के लिए थाने लेकर गए थे, फिर इतनी जल्दी तस्दीक पूरी कर हत्या का मामला कैसे दर्ज कर दिया।

पीठ, गर्दन और हाथ पर मिले निशान

कैदी की मौत की न्यायिक जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट पीके सिंह कर रहे हैं। न्यायिक जांच में शव का पोस्टमार्टम परिजन के समक्ष डॉक्टरों के पेनल से कराया जाता है। जिला अस्पताल से कैदी का शव शुक्रवार की रात को ही मरूचुरी रूम पहुंचा दिया, लेकिन परिजन दोपहर तक नहीं आए। परिजन शनिवार को दोपहर करीब 3.30 बजे सीहोर मरूचुरी रूम पहुंचे। परिजन के आते ही मजिस्ट्रेट पीके सिंह और सिविल सर्जन डॉ. गिरीश जोशी तीन डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव, एके खरे और पीके तोमर के साथ मरूचुरी रूम पहुंच गए। मजिस्ट्रेट कैदी के परिवार के पांच सदस्यों को लेकर मरूचुरी रूम में अंदर गए, परिजन ने शुभम की गर्दन, पीठ और हाथ पर चोट के निशान देख पुलिस पर हत्या के आरोप लगाते हुए सीहोर में पीएम कराने से इंकार कर दिया।

जेल के गेट पर पानी पीकर निकला था कैदी

नसरूल्लागंज के उप जेलर संतोष गौर ने बताया कि शुभम तनाव जरूर महसूस कर रहा था, लेकिन जेल में उसकी हालत ठीक थी। तनाव के कारण गुरूवार की रात को उसने खाना भी कम खाया था। मैंने जेल स्टाप से उसके बारे में पूछा था, तो मुझे बताया कि खाना कम खाया है, कुछ तनाव में है। शुक्रवार को सुबह दलिया और दोपहर में एक रोटी खाई थी, मैं वेतन से संबंधित कुछ काम से सीहोर जिला जेल आया हुआ था।

दोपहर में मेरे पास जेल से फोन आया कि कैदी शुभम की कुछ हालत खराब है, मैंने तत्काल अस्पताल ले जाने की कहा। मुख्य पहरी उईके, राजेश गीते 1.50 बजे जेल से ऑटो में कैदी को लेकर नसरूल्लागंज अस्पताल पहुंचे। जेल से निकलते समय कैदी ने गेट पर पानी पिया। कुछ देर बाद अस्पताल से मेरे पास डॉक्टर ने फोन किया कि इसकी हालत ज्यादा खराब है, भोपाल भेजना पड़ेगा, मैंने कहा भेज दो। शुभम के शरीर पर चोट के निशान कैसे आए, मुझे नहीं पता।
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