सीएमओ ने कहा कि हमारे सामाजिक संरचना में मां ही एक ऐसी कड़ी है जो अपने नन्हें बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति सबसे पहले चितित होती है। उन्होंने टीम चिकित्सकों को हिदायत देते हुए कहा कि जिला अस्पताल के एनआरसी वार्ड में आरक्षित बेड पर कुपोषित बच्चों की संख्या हमेशा भरी रहनी चाहिए। कार्यों का मूल्यांकन इसी पर निर्भर करता है क्योंकि जनपद में ऐसा नहीं है कि कुपोषण के शिकार बच्चे न हों।
उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी टीम का प्रयास कहीं न कहीं कमजोर पड़ रहा है। ऐसे में टीम के सदस्य गांव-गांव जाकर कुपोषित बच्चों की खोज करें। उन्होंने अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वाईके राय को निर्देश दिया कि आइसीडीएस के कार्यक्रम अधिकारी से समन्वय बना कर प्रत्येक ब्लाक के सीडीपीओ द्वारा स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में विशेष रुचि दिलवाएं।
कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करना हम चिकित्सकों की जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी चिकित्सक यदि अपने भ्रमण के दौरान कुपोषित बच्चों के परिवार से असहयोग पा रहे हैं तो वे वहां के ग्राम प्रधान से अवश्य मिलें और उनको सारी स्थितियों से अवगत कराने के साथ ही मदद मांगे। इस मौके पर एडिशनल सीएमओ डा. संजय, एनआरसी चिकित्सालय के प्रभारी डा. कासिफ, यूनीसेफ के प्रतिनिधि, आइईस इंचार्ज मनीष तिवारी मौजूद थे।