आजमगढ़ जिले में दो लोकसभा सीटें हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा गठबंधन में लालगंज सुरक्षित सीट बसपा के खाते में गयी थी। यहां बीएसपी की संगीता आजाद ने जीत हासिल की थी। जबकि आजमगढ़ संसदीय सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव सांसद चुने गए थे। विधानसभा चुनाव 2022 में करहल से विधायक बनने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया है। अब यहां उपचुनाव होना है। हाल में हुए एमएलसी चुनाव में सपा का बड़ा झटका लगा है। पार्टी प्रत्याशी राकेश यादव को चुनाव में मात्र 356 वोट मिले हैं। जबकि यादव और मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या ढाई हजार से अधिक थी।
इस चुनाव में यादव प्रतिनिधि जहां बाहुबली रमाकांत के चलते बीजेपी के साथ खड़े हुए तो मुस्लिम बीजेपी के बागी यशवंत सिंह के साथ नजर आया। अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के भय से यहां का 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता कभी सपा तो कभी बसपा के साथ खड़ा होता रहा है। वर्ष 2012 से अब तक मुस्लिम मतदाताओं की सपा के प्रति लामबंदी दिखी है। जिसके कारण वह विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की सभी दस सीटों को जीतने में सफल रही थी लेकिन अब मुस्लिम मतदाता बिखरता नजर आ रहा है।
खासबात है कि अब मुस्लिम बीजेपी के साथ जुड रहा है जो सपा के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। मुस्लिमों के बीजेपी से जुड़ने के पीछे बड़ा कारण योगी सरकार में बेहतर कानून व्यवस्था और बिना भेदभाव के योजनाओं का संचालन माना जा रहा है। वहीं पिछले पांच साल में प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा न होने से लोगों के अंदर से बीजेपी का भय समाप्त हुआ है।
यहीं वजह है कि तेजी से मुस्लिम बीजेपी की सदस्यता ले रहा है। अभी दो दिन पूर्व भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद सद्दाम ने मिर्जा अहम्दुल्लाह शमशाद, मोहम्मद अजीम खान, तालिब खान, अबूजर खान, मोहम्मद, अजीम मोहम्मद, ताविज खान, तैयब खान, मोहम्मद नाजिर सहित सैकड़ों लोगों को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करायी है। मोहम्मद सद्दाम का दावा है कि भाजपा के कार्यकाल में हर वर्ग के लोग खुश हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की दोबारा सरकार बनी है। लोगों भयमुक्त जीवन जी रहे है। विपक्ष द्वारा जो डर मुस्लिम समाज के दिल में भरा गया था अब वह दूर हो चुका है।