जिला महिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. विनय कुमार सिंह यादव का कहना है कि स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए लीवर को सुरक्षित रखना आवश्यक है। इसलिए सेहत का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। शरीर में होने वाले बदलाव हमें लिवर में समस्या का संकेत देने लगते हैं। इसके कारणों की बात करें तो अनुवांशिक, गलत जीवनशैली व खानपान, एल्कोहल व तंबाकू का अधिक सेवन, अधिक कालेस्ट्राल वाला आहार व हेपेटाइटिस संक्रमण लीवर को डैमेज करने का मुख्य कारक हैं।
उन्होंने बताया कि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद जरूरी है। नींद पूरी न होने पर मेटाबालिज्म पर असर पड़ता है। इससे लीवर से जुड़े रोगों का खतरा बढ़ता है। फैटी लिवर की समस्या आम हो गई है। हेपेटाइटिस ए, बी या सी इंफेक्शन से लिवर की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। दूषित पेयजल, संक्रमित ब्लड, इंजेक्शन, लार या संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध आदि हेपेटाइटिस का प्रमुख कारण हे। हेपेटाइटिस बी व सी के 24 से 40 प्रतिशत तक पुराने मामले लीवर कैंसर में बदल जाते हैं। यह दो प्रकार होते हैं प्राइमरी और सेकंेंड्री। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए अब टीका उपलब्ध है, जो सरकारी केंद्रों पर बच्चों को निःशुल्क लगाता है। बाजार में भी काफी सस्ता है।
उन्होंने बताया कि पाचन तंत्र की खराबी में हमारे आहार की अहम भूमिका होती है। फास्ट फूड, जंक फूड और अधिक चिकनाई व गरिष्ठ भोजन से शरीर में चर्बी जमा होने लगती है। इसका पहला प्रभाव लीवर पर पड़ता है और आंतों में सूजन आ जाती है। धीरे-धीरे इससे पीलिया की समस्या होती है, जो लिवर का प्रारंभिक संक्रमण है। इसलिए ऐसे भोजन का सीमित मात्रा में ही सेवन करें। भोजन में सुपाच्य और पौष्टिक आहार को प्राथमिकता दें। फल व सब्जियों में प्रचूर मात्रा में विटामिंस, फाइबर व अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। इस लिए मौसमी फल का सेवन करें।
इसके अलावा शारीरिक निष्क्रियता और तैलीय भोजन का अधिक सेवन से वनज तेजी से बढ़ता है। मोटापा फैटी लिवर के साथ ही हृदय की बीमारियां, डायबिटीज, रक्तचाप, आस्टियोपोरोसिस समेत कई समस्याओं का कारण बनता है। इसलिए वजन नियंत्रित रखना आवश्यक है। शरीर के लिए भोजन जरूरी है और भोजन से आवश्यक तत्व शरीर को मिलें इसके लिए ठीक से इसका पाचन होना चाहिए। इसलिए सुबह टहलना या व्यायाम करना आवश्यक है। व्यायाम से कैलोरी बर्न होगी और शरीर में चर्बी का जमाव नहीं होगा। अतिरिक्त चर्बी शरीर के हर अंग पर दुष्प्रभाव डालती है।
लीवर की बीमारी के लक्षण--
-त्वचा और आंखों में पीलापन।
-पेढ़ू में दर्द रहना या सूजन।
-टखनों के पास और पैरों में सूजन।
-त्वचा पर खुजली।
-पेशाब में गहरा पीलापन।
-मल का रंग गहरा होना।
-मल से खून आना या टार की तरह होना।
-जल्दी थकान महसूस होना
-उल्टी आना, पाचन-तंत्र में गड़बड़ी होना।
लीवर को सुरक्षित रखने का तरीका
-स्वच्छ पानी पीएं, दूषित जल को उबालकर ठंडा करके पीएं।
-ब्लेड, रेजर या टूथब्रश एक-दूसरे से शेयर न करें।
-गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस बी और सी की जांच कराएं।
-खुले जख्म को दस्तानों के बिना न छुएं।
-संक्रमित सूईं से बचाव।
-शराब के सेवन से परहेज करें।
-योग-व्यायाम करके वजन को नियंत्रित रखें।
-किसी भी प्रकार का संक्रमण होने पर डाक्टर से संपर्क करें।
-जंक-फूड का सेवन कम करें।
-चिकनाई व मसालेदार भोजन कम खाएं।
-हाई फाइबर युक्त आहार लें।
-खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रॉकली, गोभी, गाजर वगैरह शामिल करें।
इन चीजों का जरूर करें उपयोग--
-दही व मट्ठे का सेवन करें। इससे पाचन तंत्र सक्रिय रहेगा
-पानी की स्वच्छता का विशेष खयाल रखें।
-गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित पिएं।
-नियमित पालक के जूस या सब्जी का सेवन करें। यह लिवर सिरोसिस में बहुत फायदेमंद है।
-पर्याप्त पानी पिएं, जिससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बना रहे।