scriptआसाम, बिहार और बंगाल से जुड़ा हैं अवैध गांजे का करोबार! | illegal Hemp business from asam bihar and bengal | Patrika News

आसाम, बिहार और बंगाल से जुड़ा हैं अवैध गांजे का करोबार!

locationआजमगढ़Published: Jun 01, 2018 06:03:30 pm

दर्द : नशाखोरी से गिरफ्त में कई युवा, टूटा रहा परिवार…

आजमगढ़. कभी नकली नोटों के कारोबार को केंद्र रहा यह जिला अब अवैध गांजे के कारोबार का भी केंद्र बन चुका है। बिहार, पंश्चिम बंगाल और आसाम तक इसके तार जुड़े हैं। कारोबार गांव की गलियों से लेकर चट्टी चौराहों तक संचालित हो रहा है। बल्कि यूं भी कहा जा सकता है कि, इस कारोबार ने जिले में कुटीर उद्योग कार रूप ले लिया है। पुलिस कभी कभार छोटे-मोटे कारोबारियों को गिरफ्तार कर वाहवाही जरूर लूटती है, लेकिन सच यह है कि यह कारोबार उसके लिए भी मुफीद साबित हो रहा है। वहीं यह कारोबार युवा पीढ़ी से लेकर बुजुर्ग तक को बर्बाद कर रहा है।

वैसे तो मादक पदार्थो की तस्करी में हेरोइन, शराब, अफीम सभी है लेकिन इनमें सबसे ज्यादा अगर देखे तो खपत गांजे की है। कारण ये सस्ते दर पर आसानी से एक बार में एक मीठे जहर का खुराक मिल जाती है। गांवो में चट्टी चौराहे पर कहीं न कही ये नशे का सामान उपलब्ध हो जाता है। सरकारी भांग की दुकान पर भी ये धंधा खूब फल-फूल रहा है। यही कारण है कि भांग के ठेके की दुकान हथियाने में लिए इस कारोबार से जुड़े लोग अपने हर हथकंडे अपनाते है।
एक बार दुकान मिल जाने पर सब हिसाब बराबर कर लेते है। ऐसा नहीं की पुलिस कुछ जानती नहीं है बल्कि इन पर कभी हाथ नहीं डालती। गिरफ्त में आने के बाद अभियुक्त कबूल तो करते है कि गांजे की सप्लाई किस-किस प्रांत से हो रही थी परन्तु बाद में सरगना तक हाथ नहीं पहुंचते और मामला फिर उसी गति पर चलता रहता है। हालांकि स्थानीय थानाध्यक्ष से जब पूछा जाता है तो वे सिरे से टाल जाते है कि यहां इस तरह का कारोबार होता है।

कोई हुआ अमीर तो कोई कंगाल : इस धंधे से जो एक बार जुड़ा वह काली कमाई के चक्कर में इस दलदल से बाहर नहीं निकल पाता। यही कारण है कि जनपद में गिरफ्त में आने के बाद कई ऐसे अभियुक्त मिले है जो कई बार गिरफ्त में आये है। धंधे से जुडे पर्दे के पीछे से अमीर हो गये। काले पैसो को अन्य ध्ांधे में लगा दिये। कुछ तो गिरफ्त में आने के बाद मुंह मोड़ लिये।

लग्जरी वाहनों का इस्तेमाल
अवैध गांजे के कारोबारी लग्जरी वाहनो का भी प्रयोग करते है जिससे पुलिस के आंख में धूल झोका जा सकें। एक बार माल पार होने पर वाहन कीमत के साथ सब वसूल हो जाता है। अगर फंस भी गये तो वाहन की चिंता नहीं जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण है थानो में सड़ रहे वाहन।

युवा पीढ़ी लत के शिकार
गांजे की लत की ओर बुजुर्ग तो ज्यादा दिखते है लेकिन युवा भी पीछे नहीं हैं। इन्हे भी इस मीठे जहर की लत पकड़ ली है। सिगरेट या अन्य संसाधन के माध्यम से ये कस मार लेते हैं।

महंगा पडता है गैर प्रांत का गांजा
नशेड़ियो की माने तो बाहर प्रांत से आने वाले गांजो की मांग ज्यादा रहती है। सबसे तेज नागीन गांजे की मांग रहती है। इसकी एक पुड़िया की कीमत 100 रूपये तक होती है। वही लाल, काली आदि 30 से 50 रूपये में मिलते है। आसाम और पं0 बगाल से आने वाले गांजे 10 से 20 किलो के पैकेट में रहते हैं।

मीठा जहर है गांजा
गांजे का नशा मीठा जहर माना जाता है। यह तुरन्त असर नहीं दिखाता लेकिन धीरे धीरे इंसान को खोखला कर देता है। जब तक ये इससे उबरने का प्रयास करता है तब तक देर हो जाती है और इंसान दम तोड़ने के करीब पहुंच जाता है।
रणविजय सिंह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो