बता दें कि कुछ लोगों का पूर्व में बिना नंबर मरीज दिखाने व निःशुल्क सेवा हासिल करने को लेकर पिछले दिनों लाइफ लाइन प्रबंधन से विवाद हुआ है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान एक ब्रेन स्टोक का मरीज लाइफ लाइन में भर्ती हुआ जिसका जांच के लिए सैंपल भेजा गया इसी दौरान वह दूसरे अस्पताल में चला गया। बाद में उसकी रिपोर्ट पाजिटिव आयी तो अस्पताल प्रबंधन ने सीएमओ को अवगत कराया। अस्पताल से पहले से रंजिश रख रहे लोगों को मौका मिला तो उन्होंने अस्पताल के न्यूरो सर्जन को मानव तस्कर आदि बताते हुए सोशल मीडिया पर मुहीम छेड़ दी। वहीं अस्पताल को लेकर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के बारे में पोस्ट शुरू कर दिये। उक्त लोग इस तरह का अभियान पहले दूसरे अस्पतालों के खिलाफ भी चला चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उक्त अस्पताल सभी मानक को पूरा करता है और सरकार की गाइड लाइन के मुताबिक सारी व्यवस्था अवलेबल होने के बाद अस्पताल को गंभीर मरीजों के उपचार की अनुमति गयी है। मंगलवार को जब इसकी जानकारी आईएमए को हुई तो अध्यक्ष डा. डीपी राय ने पहले पदाधिकारियों के साथ बैठक की फिर मीडिया के सामने आये। उन्होंने कहा कि सीएमओ द्वारा अस्पतालों को कोविड-19 की ट्रेनिंग देकर चिकित्सकांे को सुरक्षा उपायों के साथ गंभीर मरीजों के उपचार की अनुमति दी गयी है। लाइफ लाइन अस्पताल सरकार व प्रशासन द्वारा निर्धारित मापदंडो का पूरी तरह पालन कर रहा है। इसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर अस्पातल और चिकित्सक को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। आज पूरा देश कोविड-19 संक्रमण से परेशान है। चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों का उपचार कर रहा है। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय अनाप सनाप पोस्ट कर हतोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे लोगों को अपनी करतूतों से बाज आना चाहिए। आईएमए प्रशासन व अस्पताल के साथ खड़ा है। अगर उक्त लोग अपनी हरकत ने बाज नहीं आते हैं तो आगे का निर्णय लिया जाएगा।