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सपा-बसपा गठबंधन को इस UP की इस सीट पर लग सकता है बड़ा झटका, ये है वजह…

locationआजमगढ़Published: Jan 13, 2019 04:22:37 pm

इस सीट पर बीजेपी की निगाह है, खुद योगी आदित्यनाथ भी चाहते हैं कि इस सीट पर जीते बीजेपी।

Akhilesh Yadav and Mayawati Narendra Modi

अखिलेश यादव मायावती और नरेन्द्र मोदी

आजमगढ़. यूपी में सपा बसपा के गठबंधन के बाद सियासी बयार बदली-बदली सी दिख रही है। वहीं टिकट के दावेदार अपने मोहरे भी सेट करने शुरू कर दिये हैं। जिस तरह से गठबंधन के बाद जीत पक्की देख टिकट के दावेदार सामने आ रहे हैं उससे साफ हो गया है कि नेताओं की महत्वाकांक्षा गठबंधन पर भारी पड़ सकती है। पूर्व में भी ऐसा हुआ है जब सपा और बसपा अपनों के भीतरघात के चलते मात खा चुकी हैं। वहीं शिवपाल की पार्टी भी गठबंधन की मुश्किल बढ़ाता दिख रहा है।
बता दें कि आजमगढ़ में सपा और बसपा लगातार विरोधियों को मात देती रही है। अब जब दोनों दलों में गठबंधन हो गया है तो बीजेपी और कांग्रेस की संभावनाएं काफी क्षीर्ण हो गयी हैं। बिना सपा बसपा के वोट बैंक के विखराव के भाजपा का चुनाव जीतने का मंसूबा पूरा होना मुश्किल दिख रहा है।
यह बात गठबंधन के लोग भी अच्छी तरह जानते है। बल्कि यह कहा जा सकता है कि उन्हें अपनी जीत पक्की दिख रही है। यही वजह है कि टिकट के दावेदार भी बढ़ गए है। पूर्व मंत्री बलराम यादव, दुर्गा प्रसाद यादव पहले से ही टिकट के दावेदार है लेकिन पूर्व में दोनों ही लोकसभा चुनाव लड़ चुके है और इन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इन्हें मात बाहुबली रमाकांत से मिली थी। रमाकांत एक बार फिर भाजपा से मैदान में उतर रहे है। अब चुंकि गठबंधन है तो इन्हें अपनी जीत पक्की दिख रही है। इसलिए ये टिकट के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे है। इनमें से किसी एक को टिकट मिलने का मतलब है पुरानी कहानी को दोहराया जाना। दोनों एक दूसरे के बड़े विरोधी है और बलराम और दुर्गा पर एक दूसरे के खिलाफ भीतरघात का आरोप भी लग चुका है।
जिलाध्यक्ष हवलदार यादव भी टिकट के दावेदारों में शामिल है। इनके अध्यक्ष रहते पार्टी 2012 में दस में नौ विधानसभा सीट जीती थी तो 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हवलदार ने कड़ी मेहनत की थी। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी की भारी लहर के बाद भी सपा ने हवलदार के नेतृत्व में पांच सीटों पर जीत हासिल की। इन्हें वर्ष में लोकसभा का टिकट मिला भी था। कहते हैं कि उस समय हवलदार का टिकट कटवाने के लिए बलराम यादव ने बड़ा दाव चला था और मुलायम को यहां से चुनाव लड़ने के लिए मना लिया था। पार्टी ने मुलायम को उतारने के बाद हवलदार को आगे मौका देने का वादा किया था लेकिन इनकी राह में फिर बलराम रोड़ा अटका सकते हैं। कारण कि उन्हें पता है कि सांसद बनने का इससे अच्छा मौका उन्हें शायद ही फिर कभी मिले।
वहीं पूर्व जिलाध्यक्ष अखिलेश यादव भी टिकट के दावेदारों में शामिल हो गए है। ये लगातार दो बार मुबारकपुर से विधानसभा चुनान लड़ चुके है लेकिन उन्हें दोनों बार ही हार का सामना करना पड़ा है। इनके समर्थक सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिये हैं। इन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का करीबी भी माना जाता है। कारण कि मुलायम सिंह को नजरअंदाज कर अखिलेश यादव ने इन्हें मुबारकपुर से चुनाव लड़ाया था। टिकट न मिलने की स्थित में ये नेता पूर्व की तरह एक दूसरे का पर कतरने की कोशिश कर सकते हैं।
By Ran Vijay Singh

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