बता दें कि केंद्र व प्रदेश सरकार के स्वच्छता व शुद्ध पेयजल के दावे की पड़ताल के लिए पत्रिका की टीम शहर से सटे हुसैनगंज गांव में 14 अक्टूबर को पहुंची थी। उस समय गांव के लोगों ने पानी में कत्थे के केमिकल और प्रदूषण की शिकायत की। मौके पर देखने के बाद पता चला कि कत्था फैक्ट्री फैक्ट्री मानक के विपरीत संचालित हो रही है। फैक्ट्री में अवशेष निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। फैक्ट्री का अपशिष्ट कूंआ खोदकर बहाया जा रहा है। कुछ अपशिष्ट वहीं एक पोखरी में बह रहा है जिसके कारण पूरे गांव का पानी दूषित हो गया है। हैंडपंप से वही कत्था का गंदा पानी निकल रहा है। गांव के राम चंदर यादव, रूखसाना व उर्मिला ने बताया था कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने ब्लाक से लेकर तहसील तक के आधिकारियों से शिकायत कर चुके है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
पत्रिका की खबर के बाद उसी दिन डीएम ने मामले को संज्ञान में लिया तथा जांच के लिए एसडीएम सदर प्रशांत नायक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया। जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी को बतौर सदस्य शामिल किया। जिलाधिकारी नरेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा गठित इस टीम ने शुक्रवार को मौके का निरीक्षण किया। तीन सदस्यीय टीम के साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे। अधिकारियों ने जांच में मौके से गैबिंयर व सिल्का जैसे खतरनाक केमिकल बरामद किये। यहीं नहीं फैक्ट्री में अवैध रूप से सुपारी का भी भंडारण किया गया था जिसे केमिकल से चमकाकर पैकिंग की जा रही थी। अधिकारियों की टीम ने मौके से गैबिंयर व सिल्का, सुपारी, कत्था का सेंपल प्रयोगशाला में भेजा। एसडीएम ने बताया कि सेंपल जांच के लिए भेजा गया है रिपोर्ट आने के बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
By Ran Vijay Singh