इन जेहादियों के चलते आज आजमगढ़ देश का सबसे बदनाम जिला है। सुरक्षा एजेंसियों ने इसे आजमगढ़ माड्यूल का नाम दिया है। जबकि यह धरती कभी महर्षि दुवार्सा, महाकवि हरिऔध, राहुल सांकृत्यायन की धरती कही जाती थी। लेकिन वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद अबू सलेम का नाम आया और आज यह सिलसिला जुनैद तक पहुंच चुका है। अभी आधा दर्जन और आतंकियों की तलाश सुरक्षा एजेंसियों को है। जुनैद की गिरफ्तारी के बाद उसके पैतृक गांव बिलरियागंज थाना क्षेत्र के नसीरपुर गांव स्थित आवास और शहर के कोट मोहल्ला स्थित आवास पर मातमी सन्नाटा पसरा है।
पुलिस परिवार के लोगों से पूछताछ कर रही है। परिवार क्या गांव के लोग अब भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि, जुनैद आतंकवादी है। यकीन न करने के पीछे ठोस वजह भी है। जुनैद का पूरा परिवार शिक्षित और इलाके में सम्मानित है। चाचा फकरेआलम जिले के जाने माने डॉक्टर है। वह खुद कभी इंजीनियर बनना चाहता था, लेकिन अब जबकि वह दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में है। इस सच्चाई को स्वीकार करने के पीछे कोई वजह भी नहीं है कि, उसने देश को तोड़ने की कोशिश की।
बताते हैं कि, जुनैद ने प्रारंभिक शिक्षा अपने चाचा डॉ. फकरे आलम के आजमगढ़ स्थित आवास पर रहकर ली थी। उककी जिंदगी में नया मोड़ तब आया ज बवह इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए अलीगढ़ गया। यहां उसकी मुलाकत आतिफ अमीन से हुई। आतिफ ने उसे आतंकी मौलाना मसूद अजहर के भाषण सुनवाने के साथ फिलिस्तीन की लड़ाई के विडियो क्लिप इतनी बार दिखाया कि, वह भटक गया और जेहाद के रास्ते पर चल पड़ा वर्ष 2004 से 2005 तक करीब एक वर्ष तक वह दिल्ली में रहा। दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में अपने चाचा के पास रहता था। इसके बाद फिर वह जाकिर नगर चला गया। उसने मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज से बीटेक करने के लिए दाखिला ले लिया, लेकिन यहां वह दूसरे वर्ष फेल हो गया। इसी कॉलेज से जुनैद के बड़े भाई ने भी पढ़ाई की थी। जुनैद करीब दस वर्ष पूर्व अपने घर आया था।
13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद पहली बार जुनैद का नाम प्रकाश में आया था। इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी यासीन भटकल का सहयोगी जुनैद तभी से दिल्ली पुलिस के रडार पर था। 19 सितंबर 2008 को बटला एनकाउंटर हुआ। उसके बाद जुनैद और भी सुर्खियों में आ गया। इस घटना के बाद जुनैद कभी आजमगढ़ नहीं आया। बटला हाउस कांड में नाम आने के बाद परिवार के लोगों ने उससे नाता तोड़ लिया और कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया है जुनैद कहां हैं।
आरिज की करतूत से परिवार के लोग इस कदर विचलित हुए कि, अपना पैतृक गांव ही छोड़ दिया। वे शहर के कोट मोहल्ले में आकर रहने लगे। जुनैद के आतंकी होने का सदमा उसके पिता जफरे आलम खान बर्दाश्त नहीं कर सके और उनका इंतकाल हो गया। जुनैद का बड़ा भाई शारिक दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता है। छोटा भाई चाचा डा. फकरे आलम के साथ डिस्पेंसरी पर रहता है। आरिज की मां तबस्सुम बड़े बेटे शारिक की पत्नी और छोटे बेटे ताबिस के साथ किराए के मकान में रहती हैं।
यह भी पढ़ें
इनसेट- उच्च शिक्षा प्राप्त मुस्लिम नौजवानों को फंसा रही सरकार लंबे समय से बटला एनकाउंट के न्यायिक जांच की मांग कर रही राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने जुनैद की गिरफ्तारी के बाद सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष नूरूल होदा ने कहा कि पूर्व केंद्र सरकार ने इजराइल और अमेरिका के इशारे पर पढ़े लिखे मुस्लिम युवकों आतंकवादी बनाया अब यही काम
वर्तमान सरकार द्वारा भी किया जा रहा है। आखिर सरकार बटला एनकाउंटर की न्यायिक जांच क्यों नहीं कराती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में ही दिग्विजय सिंह संजरपुर आये थे और कहा था कि एनकाउंटर फर्जी है लेकिन बाद में वे अपने बयान से पलट गए। by रणविजय सिंह