...अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
समाज को नई दिशा देने के लिए आजीवन लड़ते रहे कैफी आजमगढ़
गरीबों के उत्थाना और बालिका शिक्षा के किये महत्वपूर्ण काम, गांव की महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
कैफी आजमी पर विशेष

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. कर चले हम फिजा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। यह गीत किसी और का नहीं बल्कि मशहूर शायर स्व. कैफी आजमी का है। जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज को राष्ट्र पे्रम से ओतप्रोत किया ही साथ ही विभिन्न आंदोलनों में शामिल होकर न्याय की लड़ाई लड़ी। 14 जनवरी को 101वीं जयंती उनके पैतृक गांव मेजवां में धूमधाम से मनायी जायेगी। इस दौरान उनके द्वारा उपयोग की गयी वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी। कार्यक्रम की तैयारियों जोरशोर से चल रही है।
बता दें कि कैफी आजमी का जन्म 14 जनवरी 1919 को फूलपुर तहसील क्षेत्र के मेंजवां गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम फतेह हुसैन और माता का हफीजुन था। बचपन में लोग इन्हें प्यार से अतहर हुसैन रिजवी कहते थे। उनकी शायरी में गांव के दर्द का अंदाज हम इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपनी युवावस्था में यह शेर वह मेरा गांव वे मेरे गांव के चूल्हे की जिनमें शोले तो शोले धुआं नहीं मिलता लिखकर लोगों को अपना मुरीद बना दिया था। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। 1943 में पहली बार मुबई पहुंचे। 1947 तक यह शायरी की दुनिया में अपना नाम मशहूर शायरों में दर्ज करा चुके थे। इसी दौरान उन्होंने शौकत से निकाह किया। इसके बाद उन्होंने तमाम फिल्मों में गीत दिया। बुजदिल, कागज के फूल, शमां, हकीकत, पाकीजा, हंसते जख्म, मंथन, शगुन, हिन्दुस्तान की कसम, नौनिहाल, नसीब, तमन्ना, फिर तेरी कहनी याद आयी आदि फिल्मों के लिए इनके द्वारा लिखे गये गीत आज भी लोगों की जुबान पर है।
दुर्भाग्यवश 8 फरवरी 1973 को वे पालिज के शिकार हो गये और मेजवां लौट आये। इन्होंने अपने पैतृक जिले के विकास के लिए आजीवन संघर्ष किया। वर्ष 1981-82 में इनकी पहल पर मेजवां गावं को सड़क से जोड़ा गया। लोगों को पगडंडी से छूटकारा मिला। इसके पूर्व वे गांव में प्राइमरी स्कूल की स्थापना कर चुके थे। कैफी साहब का सपना था कि गांव के लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करें। इसके लिए उन्होंने शिक्षण संस्थानों के साथ ही चिकनकारी, कंप्यूटर शिक्षण संस्थान आदि की स्थापना की। आज वह हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हर दिल में बसी हुई हैं।
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