हमेशा करता रहा अटल जी की सेवा
कम ही लोग जानते होंगे कि अटल जी का सबसे करीबी भी आजमगढ़ का ही रहने वाला है और उनके अच्छे और बुरे दिन का साथी रहा है। जब अटल बिहारी वाजपेयी बिस्तर पर थे तब भी वह उनके साथ रहा। यह कोई और नहीं बल्कि आजमपुर गांव निवासी जय प्रकाश मौर्य हैं। जय प्रकाश मौर्य पिछले कई दशक से अटल जी के साथ थे। यह अटल बिहारी वाजपेयी जब तक जिंदा रहे तब तक उनकी सेवा करते रहे। कहते हैं कि अटल जी का सारा निजी कार्य उनके सेवक के रुप में जय प्रकाश ही देखते थे। अटल जी के समय ही उन्हें पीएमओ में नौकरी भी मिली थी। जब अटल जी बीमार थे और बेड से नहीं उठ रहे थे उस समय जय प्रकाश मौर्य उनके निजी सेवक के रूप में उनका कार्य भार भी सम्भाला था।
कम ही लोग जानते होंगे कि अटल जी का सबसे करीबी भी आजमगढ़ का ही रहने वाला है और उनके अच्छे और बुरे दिन का साथी रहा है। जब अटल बिहारी वाजपेयी बिस्तर पर थे तब भी वह उनके साथ रहा। यह कोई और नहीं बल्कि आजमपुर गांव निवासी जय प्रकाश मौर्य हैं। जय प्रकाश मौर्य पिछले कई दशक से अटल जी के साथ थे। यह अटल बिहारी वाजपेयी जब तक जिंदा रहे तब तक उनकी सेवा करते रहे। कहते हैं कि अटल जी का सारा निजी कार्य उनके सेवक के रुप में जय प्रकाश ही देखते थे। अटल जी के समय ही उन्हें पीएमओ में नौकरी भी मिली थी। जब अटल जी बीमार थे और बेड से नहीं उठ रहे थे उस समय जय प्रकाश मौर्य उनके निजी सेवक के रूप में उनका कार्य भार भी सम्भाला था।
अटल जी ने दो बार की थी आजमगढ़ की यात्रा
अपने राजनीतिक जीवन में अटल जी ने दो बार आजमगढ़ की यात्रा की थी। एक बार वर्ष 1984-85 में और फिर 1989-90 में। वर्ष 1989-90 की अटल की यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जाती है। अटल जी वाराणसी से आजमगढ़ आये थे। वे वर्षों बाद किसी रैली में घंटों देरी से पहुंचे थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी को देखने के लिए दलीय सीमा टूटी थी और पूरे आजमगढ़ शहर में तिल रखने की जगह नहीं थी। अटल जी ने अपने भाषण में कहा था कि उनकी उम्र बढ़ गयी है। वाराणसी से आजमगढ़ आते हुए यह नहीं समझ पाये कि सड़क गड्ढे में है या गड्ढे में सड़क। अटल जी का यह जुमला आज भी लोगों की जुबान पर है।
अपने राजनीतिक जीवन में अटल जी ने दो बार आजमगढ़ की यात्रा की थी। एक बार वर्ष 1984-85 में और फिर 1989-90 में। वर्ष 1989-90 की अटल की यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जाती है। अटल जी वाराणसी से आजमगढ़ आये थे। वे वर्षों बाद किसी रैली में घंटों देरी से पहुंचे थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी को देखने के लिए दलीय सीमा टूटी थी और पूरे आजमगढ़ शहर में तिल रखने की जगह नहीं थी। अटल जी ने अपने भाषण में कहा था कि उनकी उम्र बढ़ गयी है। वाराणसी से आजमगढ़ आते हुए यह नहीं समझ पाये कि सड़क गड्ढे में है या गड्ढे में सड़क। अटल जी का यह जुमला आज भी लोगों की जुबान पर है।