scriptकोरोना की तरह ही खतरनाक है काली फंगस, इस तरह करें बचाव | Know about black fungus treatment and prevention | Patrika News

कोरोना की तरह ही खतरनाक है काली फंगस, इस तरह करें बचाव

locationआजमगढ़Published: May 15, 2021 05:27:44 pm

काली फंगस (म्यूकर माइकोसिस) कोरोेना की तरह खतरनाक है। कोविड संक्रमण से ठीक हुए ऐसे लोग जिनको कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो उनमें इनका खतरा सर्वाधिक अधिक है। यह इतना खतरनाक है आंख, नाक, साइनस, चेहरे पर फैलकर उसको नष्ट कर देता। सावधानी ही इससे बचाव का सबसे बेहतर माध्यम है।

प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. कोविड-19 संक्रमण के बीच काली फंगस (म्यूकर माइकोसिस) बड़ी समस्या बनकर सामने आया है। यह चेहरे नाक, साइनस, आँख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर दे रहा है। इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है। आसपास के जिलों में काली फंगस के मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा अलर्ट जारी किया गया है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. एके मिश्रा ने बताया कि म्यूकर माइकोसिस एक काली फंगस है, जोकि चेहरे नाक, साइनस, आँख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है। इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है। यह रोग उन्हें हो सकता है, जिनको कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो जैसे-डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन आदि। इसके अलावा ऐसे कोविड मरीज जिन्हें ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो, डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो तथा कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।

उन्होने बताया कि बुखार आना, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो, नाक बंद हो, नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो, आँख में दर्द हो, आँख फूल जाए, दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए। चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो), दाँत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो तथा उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

अगर किसी में यह लक्षण दिखते हैं तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएँ। नाक, कान, गले, आँख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएँ और इलाज शुरू करें। उन्होने कहा कि उपर्युक्त कोई लक्षण होने पर स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिस्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें। स्टेरॉयड दवाएं जैसे-डेक्सोना, मेड्रोल आदि है। लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है। स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5-10 दिनों के लिए देते हैं वो भी बीमारी शुरू होने के 5-7 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को। इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है। इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं। स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें। घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें। बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हो जायें।

BY Ran vijay singh

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो