आजमगढ़ शहर के रहने वाले मुबारकपुर विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बडे बिजनेस मैन है। इन्हें यूपी के बड़े बिल्डरों में गिना जाता है। इनकी पूर्वांचल कांट्रक्सन कंपनी का गाजियाबाद, नोयडा जैसे शहरों में बड़ा नाम है। इसी कारोबार के दौरान वे मायावती के भाई आनंद के संपर्क में आये। कहतेे तो यहां तक हैं कि दोनों बिजनेस पार्टनर भी है। आनंद के जरिये ही जमाली ़मायावती तक पहुंचे। जमाली के पास अकूत संपत्ति थी ही धीरे-धीरे पार्टी का काम करते हुए वे मायावती के करीबी होते गए।
जमाली का ज्यादातर समय बाहर गुजरा इसलिए जब मायावती ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जमाली को मुबारकपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाया तो वे आम आदमी के लिए बिल्कुल ही नए चेहरे थे। चुनाव में जिले की दस विधानसभा सीटों में नौ सपा के खाते में गई। मुबारकपुर सीट जमाली जीतने में सफल रहे। यह अलग बात है कि हार जीत का अंतर काफी कम था लेकिन जमाली की जीत से सपा का आजमगढ़ क्लीन स्वीप का सपना अधूरा रह गया।
इसके बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़े तो मायावती ने फिर जमाली पर भरोसा जताया और मुलायम के खिलाफ मैदान में उतार दिया। यह अलग बात है कि जमाली तीसरे नंबर पर रहे। मुलायम सिंह से उन्हें करीब 73 हजार कम वोट मिले। जबकि मुलायम बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत यादव को 63 हजार मतों से हराने में सफल रहे थे। मुलायम की जीत का अंतर कम होने का कारण जमाली को माना गया था। कारण कि जमाली दलित के साथ ही कुछ मुस्लिम मतदाताओें को साधने में सफल रहे थ।
लोकसभा हार के बाद भी मायावती ने जमाली से भरोसा कम नहीं हुआ। 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने मुबारकपुर सीट से फिर जमाली को मैदान में उतारा। जमाली चुनाव जीतने में सफल रहे। अब जमाली को विधानमंडल का नेता बना दिया गया है। जमाली पूर्वांचल के मुस्लिम मतदाताओं को साधने में कितने सफल होते हैं यह तो समय बताएगा लेकिन इसके मायावती का बड़ा दाव माना जा रहा है।
BY Ran vijay singh