बता दें कि मूलरूप से सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के नरायनपुर गांव निवासी वंदना सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। वंदना के ससुर राम प्यारे सिंह व पति सर्वेश सिंह सीपू भी सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके है। रामप्यारे सिंह मुलायम सिंह सरकार में पर्यावरण मंत्री भी रहे।
वर्ष 2013 में सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वंदना सिंह राजनीति में उतरी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने इन्हें सगड़ी से टिकट दिया। पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार के प्रति सहानभूति की लहर ने वंदना सिंह को आसानी से विधानसभा पहुंचा दिया। वंदना सिंह को कर्मठ और संवेदनशील नेताओं में गिना जाता है। कारण कि वह सत्ता से दूर होने के बाद भी अपने क्षेत्र की जनता के हर सुख दुख में भागीदार बनने की कोशिश करती रही है।
28 अक्टूबर को वंदना ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद बसपा मुखिया मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया था। उस समय वंदना ने खुद को बसपा का मजबूत सिपाही बताते हुए किसी दल से संपर्क या उसमें शामिल होने की अटकलों पर विराम लगा दी थी लेकिन हाल में उनकी सपा के लोगों से नजदीकी बढ़ी थी।
माना जा रहा था कि वंदना सिंह वर्ष 2022 के चुनाव से पहले सपा का दामन थाम सकती है लेकिन बुधवार भाजपा में शामिल होकर उन्होंने सभी को चौका दिया। वंदना के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी को निश्चित तौर पर फायदा होगा। कारण कि सगड़ी में पार्टी को एक मजबूत नेता की तलाश थी जो अब पूरी होती दिख रही है। कारण कि क्षेत्र में वंदना और उनके परिवार का अच्छा प्रभाव है। बीजेपी को चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है।