scriptUP Assembly Election 2022: आखिर अजीत राय पर क्यों अटकी है सीएम योगी की सूई, जानकर हैरान हो जाएंगे आप | Know Yogi make issue of Ajit rai murder case in UP elections 2022 | Patrika News
आजमगढ़

UP Assembly Election 2022: आखिर अजीत राय पर क्यों अटकी है सीएम योगी की सूई, जानकर हैरान हो जाएंगे आप

UP Assembly Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता अजीत राय की हत्या को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है। सीएम योगी हर सभा में अजीत हत्याकांड की याद दिला रहे है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि डेढ़ दशक बाद अजीत की याद क्यों आ रही है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यह बीजेपी का बड़ा चुनावी दाव है। जो सिर्फ सपा नहीं बल्कि पूरे विपक्ष की मुश्किल बढ़ा सकता है।

आजमगढ़Dec 07, 2021 / 11:10 am

Ranvijay Singh

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. यूपी विधानसभा चुनाव में चंद महीने शेष है। चुनाव से पहले राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। वहीं सरकार योजनाओं के जरिये मतदाताओं के दिल में उतरने की कोशिश कर रही है। इन सब के बीच डेढ़ दशक पहले जिले के शिब्ली नेशनल कालेज में वंदेमतरम विवाद को लेकर हुई एबीवीपी नेता अजीत राय की हत्या का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। सीएम हर सभा में अजीत को याद कर रहे है। इसे बीजेपी का बड़ा दाव माना जा रहा है। अजीत के जरिए जहां बीजेपी भूमिहारों को साधने की कोशिश कर रही है वहीं बड़े ही आसानी से चुनाव की दिशा को राष्ट्रवाद की तरफ मोड़ रही है। वैसे भी जिले में क्षत्रिय और भूमिहारों का झगड़ा वर्षो पुराना है जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ता है। अजीत के बहाने ही सही अगर भूमिहार बीजेपी के साथ खड़ा हुआ तो पूरे विपक्ष की मुश्किल बढ़ जाएगी।

वर्ष 2003 में हुई थी अजीत राय की हत्या
अजीत राय शिब्ली नेशनल कालेज के छात्र के साथ एबीवीपी के नेता थे। वर्ष 2003 में वंदेमातरम गायन को लेकर कालेज में विवाद हुआ। अजीत स्वतंत्रता दिवस पर वंदेमातरम गायन की मांग कर रहे थे। वहीं कालेज प्रबंधन और कुछ छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे। इसी विवाद में अजीत राय की हत्या कर दी गयी थी। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। अजीत राय की हत्या के मामले में पुलिस मुकदमा नहीं दर्ज कर रही थी। जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

हत्या के बाद मुकदमा दर्ज कराने आये थे योगी
जब अजीत राय की हत्या हुई थी उस समय योगी आदित्यनाथ सांसद थे। योगी आदित्यनाथ अजीत हत्याकांड में मुकदमा दर्ज कराने के लिए आजमगढ़ आए थे। कट्टर हिंदू छबि के नेेता योगी आदित्यनाथ के आजमगढ़ आने के बाद माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था। उस समय पुलिस को हत्या का मुकदमा दर्ज करना पड़ा था।

आजमगढ़ में क्षत्रिय और भूमिहारों में कभी नहीं बनी
आजमगढ़ जिले में क्षत्रिय और भूमिहार नदी के दो किनारों जैसे रहे। जो एक दिशा में चलते तो जरूर थे लेकिन कभी एक दूसरे से मिल नहीं सकते थेे। यह झगड़ा बाबू विश्राम राय और कुंवर सिंह के समय से चला आ रहा था। राजनीतिक दल चुनाव में इसका खूब फायदा उठाते थे। क्षत्रिय मतदाता जिसके साथ खड़े होते थे भूमिहार विरोधी खेमेें के साथ हो जाता था।

पंचानन राय व रामप्यारेे ने मिलाया था हाथ
क्षत्रिय और भूमिहारों के बीच झगड़े का सीधा असर राजनीति पर पड़ता था। जिसका नुकसान दोनों ही जातियों के बड़े नेताओें का उठाना पड़ता था। वर्ष 1996 के चुनाव में सपा ने रामप्यारे सिंह को सगड़ी से टिकट दिया। उस समय शिक्षक नेता पंचानन राय भूमिहारों के बड़े नेता माने जाते थे। भूमिहार वर्ग में उनका बड़ा प्रभाव था। कुछ लोगों की मध्यस्थता के बाद पंचानन राय रामप्यारे सिंह ने हाथ मिलाया। जिसका फायदा भी हुआ। भूमिहार साथ आया तो रामप्यारे विधायक बन गए। इसके बाद से यह झगड़ा समाप्त हो गया।

सीएम एक तीर से कर रहे दो शिकार
डेढ़ दशक बाद अजीत हत्याकांड की याद ताज कर सीएम योगी आदित्यनाथ एक तीर से दो शिकार की कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ उनकी कोशिश भूमिहारों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करना है। कारण कि अजीत की हत्या सपा शासनकाल में हुई थी। उस समय योगी पूरी ताकत से अजीत के परिवार के साथ खड़े हुए थे। दूसरी तरफ वे चुनावी हवा में राष्ट्रवाद को घोलना चाहते है। कारण कि अजीत की हत्या सिर्फ इसलिए की गयी थी कि वह वंदेमातरम गायन का समर्थन कर रहे थे।

योगी के दाव से मुश्किल में विरोधी

अगर सीएम योगी का अजीत हत्याकांड को लेकर चला गया दाव सफल होता है तो सर्वाधिक नुकसान सपा को होगा। कारण कि सपा नारद राय, राजीव रंजन आदि के भरोसे पूर्वांचल के भूमिहारों को साधने की कोशिश में जुटी है। वहीं बीजेपी पहले ही कई भूमिहार नेताओं को बड़ी कुर्सी सौंप चुकी है। अब अजीत हत्याकांड का जिन्न जागा तो विपक्ष के लिए परेशानी और खड़ी हो जाएगी।

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