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आजमगढ़ में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की जमीन पर कब्जा, बीजेपी नेता पर भी आरोप

आजमगढ़ के मुबारकपुर में फर्जी इंद्राज कराकर करोड़ों की जमीन पर हो रहा कब्जा, भू माफिया के साथ सपा छोड़कर आए बीजेपी नेता भी आरोपों के घेरे में।

आजमगढ़Nov 17, 2018 / 12:54 pm

रफतउद्दीन फरीद

आजमगढ़ जमीन कब्जा

आजमगढ़. मुबारकपुर नगरपालिका में भू-माफियाओं के आगे नगर पालिका प्रशसन बेबस हो हो गया है तो अधिकारी भी सत्ताधारी नेता के दबाव में साफ दिख रहे हैं। परिणाम है कि कस्बे के तालाब पोखरों को फर्जी ढंग से इंद्राज कराकर कब्जा किया जा रहा है। भू-माफिया करीब 50 ट्रैक्टर लगाकर पोखरी का अस्तित्व मिटाने और अवैध कब्जे का प्रयास कर रहे है जबकि उसपर वर्ष 1989 से मुकदमा निस्तारण तक स्थगन आदेश है। नगरपालिका अध्यक्ष सीएम तक से गुहार लगा चुकी है लेकिन परिणाम शून्य है। कारण कि इस पूरे खेल में सत्ताधारी दल का एक नेता शामिल है।
 

नगरपालिका अध्यक्ष मुबारकपुर करीमुन्निशा की माने तों पोखरी संख्या-83 में लगातार 50 ट्रैक्टर लगाकर भू-माफियाओं द्वारा पाटा जा रहा है। आराजी नंबर 210/413 व 83मि./-890 हेक्टेय कस्बा स्थित पोखरी है। जिसका वर्षो से सार्वजनिक उपयोग होता है। पूरे कस्बे का नाला आदि इसमें बहता है। इसपर वर्षो से भू-माफियाओं की नजर है। पोखरी पर हरिराम, वकील अहमद, सेराजुद्दीन, परवेज, अशोक, जुबैदा, जमाल अख्तर आदि ने फर्जी ढंग से अपना नाम दर्ज करा लिया है। फर्जी तरीके से दर्ज नाम का हटाने के लिए पालिका परिषद ने धारा 32/38 उप्र राजस्व संहिता में दावा भी किया है। उक्त मामले में दिवानी न्यायालय से 03 फरवरी 1989 से मुकदमा निस्तारण तक दीवानी न्यायालय का स्थगन आदेश है। इसके बाद भी भू-माफिया लगातार ट्रैक्टर ट्राली के माध्यम से पोखरी को पाटकर कब्जा कर रहे है।
 

इस मामले में डीएम ने 27 अक्टूबर 2018 को एसडीएम सदर और एसएचओ मुबारकपुर को संयुक्त रूप से निरीक्षण कर काम रोकने का निर्देश दिया लेकिन इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस मामले मे अध्यक्ष द्वारा सीएम को भी पत्र लिखकर अवैध कब्जे से अवगत कराया गया। पोखरी सार्वजनिक है इसके साक्ष्य भी भेजे गए लेकिन आज तक हालात जस के तस है। सूत्रों की माने तों इस भूमि पर नजर सत्ताधारी दल के नेता की है जो पिछले चुनाव के बाद सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए है। नाम उनका है जिनके नाम से फर्जी इंद्राज हुआ है लेकिन सारा खेल यह नेताजी खेल रहे हैं। कारण कि उक्त भूमि की कीमत 60 करोड़ के आसपास बतायी जा रही है। कब्जे के बाद उक्त भूमि पर एग्रीमेंट कराकर बेचने की साजिश चल रही है। नेता के दबाव के चलते तहसील प्रशासन बेबश नजर आ रहा है।
 

नगरपालिका प्रशासन अपने स्तर पर भूमि को बचाने का प्रयास कर रहा है लेकिन उसे प्रशासनिक सहयोग नहीं मिल रहा है। नाम न छापने की शर्त पर नगरपालिका प्रशासन के एक कर्मचारी का कहना है कि उक्त नेता की नजर इस भूमि पर लंबे समय से है। यही वजह है कि प्रदेश में जिसकी सत्ता होती है नेता जी उस पार्टी में होते हैं। प्रशासन सीधे तौर पर दबाव में काम कर रहा है। वहीं भाजपा नेता रमाकांत मिश्र का कहना है कि सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री ने अवैध कब्जों और भूमाफियाओं के खिलाफ आदेश दिया है। यह बेहद गंभीर मामला है। इसे प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए।
By Ran Vijay Singh

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