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गंभीरवन में बना आजमगढ़ विश्वविद्यालय बना तो मालामाल हो जाएंगे भू-माफिया

locationआजमगढ़Published: Jun 16, 2019 03:18:07 pm

कई सफेदपोशों ने बना रखी है यहां अकूत संपत्ति, विश्वविद्यालय के राजनीतिकरण का होगा खतरा।

Azamgarh University

आजमगाढ़ युनिवर्सिटी (फाइल फोटो)

आजमगढ़. जिले में विश्वविद्यालय निर्माण की कवायद शुरू हो गयी है। भूमि की तलाश जारी है और पहला प्रस्ताव गंभीरवन में निर्माण के लिए सामने आया है। प्रशासन इस बात की जांच में जुटा है कि क्या यहां एक स्थान पर 50 एकड़ भूमि मिल जाएगी लेकिन यहां निर्माण पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं। कारण कि लंबे समय से यह चर्चा रही है कि उक्त स्थान पर बड़ी संख्या में सफेदपोश नेताओं ने भूमि खरीद रखी है। कुछ ने तालाब तक कब्जा कर रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि यहा विश्वविद्यालय बना तो सीधे तौर पर भू-माफियाओं का दबदबा होगा।
बता दें कि जिले में विश्वविद्यालय के स्थापना की मांग 40 साल से चल रही थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने यहां विश्वविद्यालय स्थापना का वादा किया और दस में से 9 विधानसभा सीटें हासिल कर ली। सरकार ने वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय स्थापना का विज्ञापन भी जारी किया लेकिन विश्वविद्यालय बलिया को दे दिया। इसके बाद बीजेपी ने सत्ता में आने पर विश्वविद्यालय का वादा किया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व सरकार ने विश्वविद्यालय की घोषणा कर दी। यह अलग बात है कि इसका राजनीतिक लाभ बीजेपी नहीं ले पाई। जिले की दोनों संसदीय सीट गठबधंन के खाते में चली गयी।
वैसे सरकार ने विश्वविद्यालय स्थापना के लिए कदम बढ़ दिया है। भूमि की तलाश तेजी से चल रही है। कुल सचिव आदि की नियुक्ति भी कर दी गयी है लेकिन आज जो सबसे बड़ी चुनौती है सही स्थान पर भूमि का चयन। कारण कि मुलायम सिंह यादव द्वारा 2005 में की गयी गलती का खामियाजा आज भी लोग भुगत रहे अब नहीं चाहते कि यह सरकार भी उस तरह की गलती दोहराये।
शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा 50 एकड़ जमीन की तलाश शुरू की गई है। सभी एसडीएम की आख्या के बाद प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेज दी कि ग्रामसभा की एक स्थान पर 50 एकड़ जमीन नहीं मिल रही है। इधर, विश्वविद्यालय आंदोलन से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी के अलावा मुख्य राजस्व अधिकारी को कई पन्ने की पत्रावली के साथ ज्ञापन सौंपा है। बताया कि तहसील सदर के गंभीरवन में 1000 एकड़ जमीन है जिसका अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय स्थापना के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जाए लेकिन यह प्रस्ताव आम आदमी के गले नहीं उतर रहा है।
कारण कि यहां बड़े पैमाने पर भू-माफिया और सफेदपोश नेताओं ने भूमि खरीद रखी है। साथ ही पास में ही तालाब है जिसपर भारी अतिक्रमण किया गया। लोगों का मानना है कि यहां अगर विश्वविद्यालय बनता है तो नेताओं का हस्तक्षेप हमेशा बना रहेगा और वे अपनी मनमानी से बाज नहीं आएंगे। साथ ही उनकी भूमि की कीमत कई गुना बढ़ जाएगी। विश्वविद्यालय ऐसे स्थान पर बनना चाहिए जहां किसी राजनेता का हस्तक्षेप न हो। लोगों को यह भी डर सता रहा है कि कहीं इसकी हालत मिनी पीजीआई जैसे न हो। जिस तरह उसमें नेताओं का हस्तक्षेप रहा और मेडिकल कालेज कहीं और आवास कहीं और बना दिया गया जिसके कारण आज उसका होना या न होना एक जैसा है।
वहीं मुख्य राजस्व अधिकारी हरिशंकर का कहना है कि विश्वविद्यालय आंदोलन से जुड़े लोगों ने गंभीरवन में जमीन होने की बात कहते हुए कई गाटा संख्या भी प्रस्तुत किए हैं। एसडीएम सदर को संबंधित पत्रावली प्रेषित कर दी गई है। निर्देशित किया गया है कि उसका परीक्षण करा लें। यदि जमीन निर्विवाद और 50 एकड़ एक स्थान पर है तो उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
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