लेकिन प्रशासन ने जो सूची तैयार की उसमें कई बड़े भू-माफिया जो दो दशक से सरकारी भूमि पर कब्जा किए है, उनका भवन गिराने का आदेश भी लेकिन वे सूची से गायब है। ऐसे में कार्रवाई पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। आखिर किसके दबाव में अधिकारी बडे भू-माफियाआें पर हाथ डालने में कतरा रहा है।
प्रशासन द्वारा जिन भू माफियाओं को सूची में शामिल किया गया है उनमें जयचंद, अरविंद, भानू प्रताप, रामअधार, राजप्रताप, विरेंद्र, सूर्यनाथ, तेजबहादुर, राजनेत, भानूप्रताप, राणाप्रताप, अवधेश, गुड्डन, मनोज, शशिकांत, लालमनि, विरेंद्र, प्रेमशीला, अंकित, रामकुंवर, शशिकांत, रिजवान खालिक, सोफियान खालिक, कामरान खालिक, इमरान खालिक, सुल्तान खालिक, एहसान खालिक, एहतेशाम खालिक, गुफरान खालिक, पतिराम, रामजीत, रामधारी, श्यामधारी, बुल्लू, रामधनी, शिवधनी, दूधनाथ, रामनरेश, बुधिराज, कैलाश, हरिश्चंद्र, बंशराज, शिवपूजन, रामहित, रईस अहमद, सफीउद्दीन, एकराम, असलम, बहरूल आलम, मुमताज, मेहदीहसन, मोतीलाल, शकील अहमद, अनीस अहमद, फुरकान अहमद, नोमान अहमद, जव्वाद, अब्दुल वाकी, परदेशी, रामसिंगार, चंद्रमा, रामजीत, रामजनम, हवलदार, प्रह्लाद, रामधनी, छन्नू, सकलदीप, पटेल पूर्व माध्यमिक विद्यालय रानी पुर रजमो, फौजदार सिह, अब्दुल समद, बदरूद्दीन, इलियास, मंजूर अहमद आदि शामिल है।
जिले में भूमाफियाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई पर नजर डालें तो प्रशासन द्वारा अब तक 795.209 हेक्टेअर भूमि को भू-माफियाओं के कब्जे से खाली कराया जा चुका है। इन मामलों में प्रशासन की ओर से अब तक 76 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी संबंधित थानों में दर्ज कराई जा चुकी है।
इसके अलावा 146 प्रकरणों में अभियोग पंजीकृत कर 1235.852 एकड़ भूमि को खाली कराया गया है। 542 व्यक्तियों के खिलाफ धारा 67 के तहत कार्रवाई की जा चुकी है। एक भू-माफिया को गिरफ्तार करने के साथ ही एक पर बिलरियागंज थाने में गैंगस्टर भी लगाया जा चुका है।
49 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है और 96 की विवेचना विचाराधीन है। इसके साथ ही 82 लोगों को गुंडा एक्ट के तहत पाबंद भी किया गया है। जिले से शासन को भेजे जाने वाली टॉप टेन भू-माफियाओं द्वारा कब्जा की गई भूमि और उनकी मालियत पर नजर डालें तो इनके द्वारा कुल 136.351 हेक्टेअर भूमि पर कब्जा किया गया था। जिसकी मालियत लगभग 55 करोड़ रुपए हैं।
लेकिन कई बड़े भू माफिया जो वर्षों से अकेले करोड़ों की भूमि कब्जा किए है वे प्रशासन के रडार से बाहर हैं। इसमें मार्टीनगंज तहसील के एक भू-माफिया द्वारा कब्जा की गई सरकारी भूमि को खाली कराने का आदेश 1995 में हुआ था।
लेकिन वह न तो भू माफियाओं की सूची में शामिल है और ना ही आज तक उसके खिलाफ कार्रवाई हुई है। यही नहीं योगी के सत्ता में आने के बाद उक्त भू माफिया ने पीडब्ल्युडी की भूमि पर कब्जा कर करोड़ों की बिल्डिंग खड़ी कर लिया। शिकायत भी हुई, लेकिन प्रशासन ने आज तक जांच नहीं पूरी की कार्रवाई तो बड़ी बात है। वैसे यह महज बानगी है। जिले में ऐसे कई माफिया हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पा रहा।
रणविजय सिंह