बता दें कि मेडिकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाओं और कफ सीरप आदि की ब्रिकी के मामले अक्सर सामने आते हैं। यहां तक कि बिना डाक्टर के पर्चे के ही लोगों को शेड्यूल एच-वन व एक्स की दवाएं दे दी जाती है। वहीं कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को दर्द से बचाने के लिए जो दवाएं दी जाती हैं, उनमें मारफीन होती है। नशे के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। डाक्टर मरीज को पर्चे पर निश्चित डोज लिखता है। वहीं मेडिकल स्टोर से बिना पर्चे के किशोर चोरी छिपे इसकी अत्याधिक मात्रा का सेवन नशे के लिए करते हैं। ऐसे में शिकंजा कसने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) इसे लेकर गंभीर हो गया है। उक्त दवाएं बिना पर्चे के न बिके और किशोरों को न दी जाए इसके लिए निगरानी की व्यवस्था की जा रही है।
इसके तहत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा रहा है। जिसमें स्वास्थ्य, पुलिस, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी बतौर सदस्य शामिल किए जाएंगे। यह संयुक्त एक्शन कमेटी ऐसे मेडिकल स्टोर जो शेड्यूल एच-वन व एक्स की दवाएं बेच रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। मेडिकल स्टोर की निगरानी निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जाएगी।
मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि मेडिकल स्टोरों को सीसीटीवी कैमरा लगाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। कहा गया है कि वे जल्द से जल्द मेडिकल स्टोरों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाना सुनिश्चित करें और इसकी रिपोर्ट कार्यालय को भेजें। जोे भी मेडिकल स्टोर संचालक कैमरा नहीं लगाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।