बता दें कि वर्ष 2016 में समाजवादी कुनबे में हुए विवाद के कारण वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। आजमगढ़ में अगर पार्टी नौ से पांच सीट पर आ गयी थी तो मऊ में वह खाता नहीं खोल पायी थी। बलिया में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। अब लोकसभा चुनाव से पहले फिर सपा में विवाद हुआ और शिवपाल यादव ने अलग मोर्चे का गठन कर लिया है। शिवपाल यह भी साफ कर चुके हैं कि अखिलेश से समझौते की कोई गुंजाइस नहीं बची है। ऐसे में यह तय है कि शिवपाल यादव लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारकर अखिलेश की परेशानी बढ़ाएंगे।
आजमगढ़ को सपा खासतौर पर मुलायम सिंह का गढ़ कहा जाता है। यहां हमेशा से पार्टी में गुटबाजी रही है। जिसका खामियाजा कई बार पार्टी भुगत चुकी है।
वहीं पूर्व विधायक सहित कई बड़े नेता मुलायम सिंह यादव के रूख का इंतजार कर रहे हैं। इनका कहना है कि वे सिर्फ नेताजी मुलायम सिंह के साथ हैं। नेताजी जिसके साथ जाएंगे वे उसी के साथ रहेंगे। ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गयी है कि मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद ही शिवपाल ने मोर्चे का गठन किया था। अगर मुलायम सिंह थोड़ा भी शिवपाल के फैसले का समर्थन करते हैं तो पार्टी के कई नेता उनके साथ चले जाएगें। जो लोकसभा चुनाव में सपा पर भारी पड़ सकता है।