शहर की शाही जामा मस्जिद में शनिवार को मगरिब की नमाज के बाद चांद देखा जाएगा। रमजान के रोजे को लेकर युवाओं में उत्साह है। चांद के दीदार के लिए इंतजामिया तैयारी को आखिरी रुप देने में जुटा है। मुफ्ती मौलाना असगर का कहना है कि रोजा केवल भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है। खाने के समय में बदलाव को भी रोजा नहीं कह सकते हैं, बल्कि शरीर के हर अंग का रोजा है। आंख से बुरा नहीं देखना है। जुबान से कुछ गलत नहीं कहना है किसी के भी बारे में और न ही किसी के बारे में बुरा सुनना है। हाथ से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाए। पैरो से किसी गलत काम के लिए नहीं चले। हर काम सच बोलना है। कुरान में रोजेदार को मुतक्की और परहेजगार बनने को कहा गया है।
वहीं दूसरी तरफ रमजान को लेकर बाजार में भी उत्साह दिख रहा है कारण कि लोगों अभी से खरीदारी में जुटे हुए हैं। खरीदारों से प्रमुख बाजार गुलजार रहे। बिना किसी बंदिश के लोग घरों से बाहर निकले और सहरी तथा इफ्तार के लिए सामान की खरीदारी की। फलों में केला, संतरा, तरबूज, खीरा, ककड़ी, नींबू की सबसे ज्यादा मांग रही। इफ्तार के लिए मक्का मदीने की खजूरें, चिप्स-पापड़ और नमकीन खरीदे गए। एक साथ नवरात्र और माह-ए-रमजान के कारण दुकानदारों के भी चेहरे खिले दिख रहे हैं।
सरायमीर, संजरपुर, फरिहां, बड़ा गांव, मुबारकपुर, खैराबाद सहित सभी मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में दुकानदारों ने भी तैयारी कर रखी है। सेवईं, खजूर से लेकर खासतौर से ककड़ी और तरबूज जैसे ठंडे फलों के ठेले लगे हुए हैं। कोई सहरी के लिए किराने की दुकान पर बेसन, चीनी, सूजी खरीद रहा था तो कोई दूध और ब्रेड। खुशी इस बात को लेकर भी दिखी कि अबकी इफ्तार के लिए गर्म जलेबी और पकौड़ी भी बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।