बता दें कि 06 अप्रैल को मास्क न लगाने पर एसडीएम व सीओ ने एक कारोबारी को दुकान में पीट दिया था। इसके बाद कारोबारी प्रशासन के खिलाफ मैदान में उतर गए थे। कोतवाली का घेराव कर प्रदर्शन किया था। कारोबारियों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस जिलाध्यक्ष कोतवाली पहुंचे थे। उसी दौरान उपद्रव हुआ जिसमें दो आरक्षी घायल हुए। उपद्रव कर रहे लोगों ने कोतवाली का गेट, डीएम के काफिले में शामिल एक वाहन को तोड़ दिया था। उपद्रव पर नियंत्रण के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा था।
इस मामले में पुलिस ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह सहित चार नामजद व 150 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष को नामजद करने के बाद अब यह मामला राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि घटना वाले दिन वे कार्यालय पर मौजूद थे। एसडीएम सदर व सीओ सिटी द्वारा व्यापारी के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की जानकारी हुई तो शहर कोतवाली पहुंचे। पहले से ही भाजपा के कई नेता मौजूद थे। व्यापारियों के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए वापस कार्यालय चले आए।
बाद में वहां उपद्रव हुआ और जिसे भाजपा नेताओं ने अंजाम दिया। जिला प्रशासन बीजेपी के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें फर्जी मुकदमें में फंसा दिया। जहां भी महिला, व्यापारी, गरीब, असहाय व आम जनता का उत्पीड़न होगा मैं खड़ा रहूंगा। पंचायत चुनाव को प्रभावित करने के लिए भाजपा नेताओं के इशारे पर प्रशासन ने यह कृत्य किया है।
वहीं कांग्रेस नेता सुमन सिंह, बेलाल, पूर्णमासी, मुन्नू यादव, साहिबा अंसारी, अमर बहादुर आदि का कहना है कि कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। प्रशासन के लोग सत्ताधारी दल के नेताओं को बचा रहे हैं और निर्दोष लोगों को फंसा रहे है जो सरासर गलत है। असल उपद्रवी तो भाजपाई है जिनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
BY Ran vijay singh