बता दें कि फूलपुर, गोरखपुर और कैराना उपचुनाव में गठबंधन की जीत के बाद विपक्ष काफी उत्साहित है। खासतौर पर सपा और कांग्रेस के लोग वर्ष 2019 के चुनाव में गठबंधन को लेकर उत्साहित है। बसपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी अब भी मौन है। यूं भी कह सकते हैं कि, उन्हें मुखिया के फैसले का इंतजार है। यही वजह है कि, बसपा के लोग आज भी एकला चलों की राह पर चुनाव तैयारी में लगे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए मायावती पहले ही आजमगढ़ जिले की लालगंज संसदीय सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी हैं। बलिया के पूर्व मंत्री घूरा राम को यहां से उम्मीदवार बनाया गया है। जब इस टिकट की घोषणा हुई तो माना जा रहा था कि, अगर गठबंधन हुआ तो जिले की एक सीट बसपा के खाते में जाएगी ही शायद इसलिए ही मायावती ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है, लेकिन पिछले दिनों मायावती ने जौनपुर संसदीय सीट पर उम्मीदवार की घोषणा कर गठबंधन की उम्मीदों को झटका दिया था।
अब इस चर्चा को और भी पर लग गए है और सुर्खियों में हैं बसपा मुखिया मायावती और बाहुबली मुख्यात अंसारी का परिवार। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने मायावती को बड़ी राहत दी थी। जब मऊ की चार विधानसभा सीटों में भाजपा ने तीन पर कब्जा जमाया था, लेकिन सदर सीट मुख्तार ने बसपा की झोली में डाल दी थी। यह अलग बात है कि उनके पुत्र अब्बास अंसारी घोसी से चुनाव हार गए थे। लोकसभ चुनाव में भी इस परिवार से बसपा को काफी उम्मीद है।