बता दें कि आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को सपा उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला भोजपुरी फिल्म स्टार व बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ से है। वहीं बीएसपी ने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां लड़ाई त्रिकोणीय मानी जा रही है।
बीजेपी के लिए समर्थन जुटाने के लिए मंगलवार को विधायक शलभ मणि त्रिपाठी आजमगढ़ पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में आजमगढ़ के लोगों ने अखिलेश यादव को सांसद चुना था लेकिन अखिलेश ने काम करना तो दूर यहां मुड़कर देखा भी नहीं। कोरोना काल में हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन बार आजमगढ़ का दौरा किया लेकिन अखिलेश को आजमगढ़ का हाल जानने की फुर्सत नहीं मिली। अखिलेश को आभास हो गया है कि सपा उपचुनाव बुरी तरह हार रही है। इसलिए वे डरे हुए है। हार के डर से अखिलेश यहां नहीं आए। वैसे भी अखिलेश के पास यहां के लोगों से कहने के लिए कुछ बचा भी नहीं है।
महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर उन्होंने कहा कि कहा कि शिवसेना बाला साहब के विचारों से नाट रीचिवल (भटकती ) होती चली गई। बाला साहब का जो विचार था राष्ट्रवाद का था, हिंदुत्व का विचार था, महाराष्ट्र के समग्र विकास का था, लेकिन वर्तमान शिवसेना को इससे दूर-दूर तक नाता नहीं है। उन्होंने कहा कि आज खबर आ रही है कि उनके मंत्री नॉट रीचिवल हो गए हैं तो जिस दल में बाला साहब के विचारों से खुद को नॉट रीचिवल कर लिया, उनके मंत्री-विधायक तो नॉट रीचिवल होंगे ही। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। हम तो सकारात्मक विपक्ष की भूमिका में बैठे हैं।