बता दें कि वर्ष 2016 में कौमी एकता दल का सपा में विलय हुआ था। इस विलय में शिवपाल यादव और अखिलेश सरकार के कैबिनेट मंत्री बलराम यादव की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय अखिलेश यादव ने बलराम यादव को मंत्रीमंडल से हटा दिया था। वहीं उन्होंने अपने चाचा शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष दिया था। कौएद का विलय अखिलेश द्वारा रद्द किये जाने के बाद सपा दो खेमों में बंटी तो अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को भी अध्यक्ष पद से हटाने और खुद अध्यक्ष बनने में देर नहीं लगाई। यह अलग बात है कि बाद में मुलायम िंसंह को पार्टी का संरक्षक बना दिया गया। लेकिन अखिलेश पार्टी को टूटने से नहीं बचा पाए। आज शिवपाल यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन कर मैदान में है। वहीं सपा और बसपा गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है।
खास बात है कि जब अखिलेश यादव ने कौएद का विलद रद्द किया था उस समय बसपा ने मुख्तार अंसारी की पार्टी का बसपा में विलय कर अखिलेश यादव को तगड़ा झटका दिया था। अखिलेश जिस तरह से दागी और बाहुबलियों के विरोध में अपने परिवार की नाराजगी की भी परवाह नहीं किए थे उस स्थिति में माना जा रहा था कि गठबंधन के बाद भी वे मुख्तार अंसारी परिवार से दूरी बनाकर रखेगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अखिलेश के आजमगढ़ से लड़ने की घोषणा के बाद से ही मुख्तार के पुत्र अब्बास अंसारी अखिलेश यादव को बड़ी जीत दिलाने के लिए प्रचार में जुट गए है। यहां तक कि सपा सरकार में मंत्री रहे दुर्गा प्रसाद यादव से लेकर बलराम यादव तक अब्बास को सिर आंखों पर बैठा रहे है। मंगलवार को अब्बास ने शहर के हर्रा की चुंगी और पहाड़पुर क्षेत्र में अखिलेश का प्रचार किया। इस दौरान वे पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव के आवास पर भी नजर आए।