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मुलायम के गढ़ में बाहुबली मुख्तार फैमिली की इंट्री से बढ़ी सियासी हलचल…BJP से ज्यादा सपा को नुकसान

locationआजमगढ़Published: Mar 03, 2018 03:51:09 pm

आजमगढ़ की राजनीति में पहली बार बाहुबली अंसारी बंधुओं के आने की सुगबुगाहट तेज, सपा के लिये वोटबैंक बचाए रखना मुश्किल।

Mukhtar ANsari Akhilesh and Yogi

मोख्तार अंसारी अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ

आजमगढ़. आजमगढ़ की राजनीति में बाहुबली मुख्तार अंसारी की फैमिली की इंट्री की सुगबुगाहट के बीच जिले में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। मुख्तार के पुत्र के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने से भाजपा के बाहुबली रमाकांत यादव की चुनौती बढ़ेगी लेकिन जो समीकरण है उसमें सपा को अधिक नुकसान होता दिख रहा है। कारण कि मुख्तार के आने के बाद सपा के लिए अपने वोट बैंक को संभालना आसान नहीं होगा।

बता दें कि मऊ, गाजीपुर और वाराणसी की राजनीति में मुख्तार फैमिली का सीधा हस्तक्षेप रहा है। आजमगढ़ में भी मुख्तार अंसारी का दबदबा और समर्थन कम नहीं है। छोटे दलों में कौएद ने आजमगढ़ में पिछले विधानसभा में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी के बसपा में शामिल होने का लाभ बसपा को मिला था। कम से कम मऊ में बीजेपी बसपा का सूपड़ा साफ करने में असफल हो गयी थी।

आजमगढ़ मुलायम सिंह यादव का संसदीय क्षेत्र है लेकिन वे साफ कर चुके है कि यहां से अगला चुनाव नहीं लड़ेगे। अब यह चर्चा आम हो गयी है बसपा घेसी सीट से मुख्तार अंसारी और आजमगढ़ संसदीय सीट से उनके पुत्र अब्बास अंसारी को मैदान में उतार रही है। विधानसभा चुनाव में अब्बास को बसपा मैदान में उतार चुकी है और उन्होंने बीजेपी के फागू चौहान को कड़ी टक्कर दी थी। अब्बास के आजमगढ़ से लड़ने की चर्चा के बाद यहां सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। कारण कि दूसरे राजनीतिक दल उनके मैदान में उतरने पर होने वाले नफा नुकसान के बारे में आकलन करने लगे है।

गौर करें तो सपा अपनी जीत का मंत्र एम वाई फैक्टर मानती रही है। कम से कम आजमगढ़ में सपा ने तभी अच्छा प्रदर्शन किया है जब मुस्लिम मतदाता उसके साथ खड़ा हुआ है। कारण कि आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में करीब 16 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। बसपा का मुख्तार में पार्टी को शामिल करना और अब्बास को आजमगढ़ से चुनाव लड़ाने के पीछे प्लान यही है कि मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में कर सके। वैसे भी सपा की तरह बसपा भी यहां तभी सफलता हासिल कर पाई है जब मुस्लिम उसके साथ खड़ा हुआ है। यानि वर्ष 2019 में दोनों का दारोमदार अपने वोट बैंक यादव और दलित के साथ ही मुस्लिम पर निर्भर है।

रहा सवाल भाजपा का तो आजमगढ़ में उसकी सफलता अदर बैकवर्ड मतदाताओं पर निर्भर करेगा। यह चर्चा आम है कि अब्बास के आने के बाद दो बाहुबलियों के बीच मुकाबला होगा और रमाकांत यादव की पेरशानी बढ़ेगी जबकि राजनीति के जानकारों का मानना है इससे सबसे अधिक नुकसान सपा को होने वाला है। कारण कि पिछला चुनाव मुलायम सिंह बड़ी मुश्किल से जीते थे। कारण कि बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा था। अब्बास के मैदान में आने की स्थित में मुस्लिम मतदाताओं में विखराव फिर तय है। कारण कि सपा के पास आजमगढ़ में मुलायम के कद का कोई नेता नहीं है जिसका चेहरा देख मुस्लिम जातिगत या धर्म के आधार पर प्रत्याशी के साथ न जाय।
मुस्लिम वोट बटेगा तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। भाजपा के जिला महामंत्री वृजेश यादव कहते है कि कोई मैदान में आये बीजेपी को फर्क नहीं पड़ता। वह अपने पांच साल के विकास को लेकर जनता के बीच जाएगी। रहा सवाल सपा और बसपा का तो इन दलों के नेता अभी इस मुद्दे पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
by Ran Vijay Singh
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