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सियासत में भागीदार के बिना मुसलमानों की तरक्की संभव नहीं: डा. आकिब

locationआजमगढ़Published: Jun 04, 2021 05:55:16 pm

आल इंडिया माइनॉरिटी ओबीसी फेडरेशन ने मुसलमानों की तरक्की के लिए राजनिति में भादीरादी जरूरी बताई। इस दौरान संगठन के प्रदेश महासचिव डा. मुहम्मद आकिब ने राजनीतिक दलों पर मुसलमानों के साथ छल करने का आरोप लगाया।

डा. मो. आकिब

डा. मो. आकिब

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. आल इंडिया माइनॉरिटी ओबीसी फेडरेशन ने मुसलमानों के पिछड़ेपन के लिए राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया है। संगठन के प्रदेश महासचिव डा. मो. आकिब ने कहा कि आज तक राजनीतिक दल और सरकार ने मुसलमानों को विकास के नाम पर छला है। मुसलमानों को अगर तरक्की करनी है तो सबसे पहले उन्हें राजनीति में हिस्सेदारी हासिल करनी होगी।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे देश का मुसलमान हासिए पे जाता रहा। मुसलमानो के नाम पर कुछ चेहरों को आगे करके ओहदा देकर पूरे मुस्लिम समाज को तरक्की के नाम पर छला जा रहा है। आप देश के सभी सेक्युलर और कम्युनल पार्टियों के संगठन और सरकार मे आँकड़े खुद देख सकते हैं कि हमे अपनी आबादी और वोट देने के हिसाब से 20 प्रतिशत भी हिस्सेदारी नहीं मिलती। एक तरफ राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों को जोड़ने और उनकी तरक्की के लिए तरह-तरह के बाते करती है और दूसरी तरफ मुसलमानो के सामाजिक हालात को बदलने के लिए रंगनाथ मिश्रा तथा सच्चर कमेटी की सिफारिश को नजरअंदाज करती रही।

उन्होंने कहा कि इन दोनांे कमेटियों की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा गया है कि मुसलमानो का एक बड़ा तबका या पसमांदा मुसलमानो की हालात दलितों से भी बदतर है। रिपोर्ट में सिफारिश की गयी है कि 8.44 प्रतिशत कोटा अलग से रिजर्व करके आरक्षण का प्रावधान किया जाए। अगर इन दोनों कमेटियों की सिफारिश लागू कर दी जाए तो मुस्लिम मसीहा, मुस्लिम हमदर्द नाम के चेहरो की देश मंे जरूरत ही नहीं पड़ेगी और न ही पार्टियाँ व नेता देश के शांतिप्रिय माहौल को संप्रदायिकता की ओर कर पाएँगे। देश के तमाम मुसलमानों की समाजी, सियासी और आर्थिक दशा अपने आप बेहतर हो जाएगी।

राजनीतिक पार्टियाँ व सामाजिक न्याय के नाम पर बने संगठनो ने इस मुद्दे पर दूरी बनाने की वजह उनकी संकीर्ण सोंच है। देश में बहुत सी पिछड़ी मुस्लिम-तंजीमो व जागरूक मुसलमानो के आवाज उठाने पर महज कुछ ही प्रदेशों में जैसे बिहार, कर्नाटका, केरला और पश्चिम बंगाल में कमोबेश आरक्षण दिया गया है वो भी आबादी के लिहाज से नहीं। देश के मुसलमानो को सोंचने की जरूरत है कि उनके तरक्की का रास्ता समाजी और सियासी बेदारी के बिना महज एक धोखा है।

BY Ran vijay singh

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