आजमगढ़. नेताजी सुभाष चंद बोस के चालक कर्नल निजामुद्दीन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा मिलने की उम्मीद बढ़ी है। कारण कि प्रशासन ने जांच के बाद शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। शासन से किसी तरह की सहायता न मिलने से आर्थिक तंगी झेल रहे कर्नल के परिवार में भी नई उम्मीद जागी है।
बता दें कि मुबारकपुर थाना क्षेत्र के ढकवा गांव निवासी निजामुद्दीन पुत्र इमाम अली, ने एक अप्रैल 2016 को जिलाधिकारी का प्रर्थना पत्र सौंप कर बताया था कि वें आजाद हिन्द फौज के सिपाही थी। उन्होंने सुबाष चन्द्र बोस के चालक के रूप में काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं। लेकिन सरकार से पेंशन अथवा आर्थिक मदद न मिलने से उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके बाद डीएम ने उप जिलाधिकारी सदर एवं पुलिस अधीक्षक, निरीक्षक स्थानीय अभिसूचना इकाई से मामले की जांच करायी थी। हाल में जांच इकाइयों नेअपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी थी। जिसमें कहा गया था कि निजामुद्दीन उर्फ सैफुद्दीन ग्राम ढ़कवा, परगना मुहम्मदाबाद, तहसील सदर, जनपद आजमगढ़ के निवासी तथा जाति के शेख है। निजामुद्दीन की उम्र लगभग 116 वर्ष है।
निजामुद्दीन ने बताया गया कि आजाद हिन्द फौज में भर्ती थे, इनको भारत सरकार के द्वारा कोई पेंशन नही मिलती है। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता दिये जाने हेतु तहसीलदार सदर, जनपद आजमगढ़ द्वारा आख्या भेजी गयी है। ग्रामवासी व उनके पुत्र बताते है कि एक बार 1955 में भारत अपने घर आये थे, जब उनके पिता इमाम अली बीमार थे, उनकी मृत्यु के बाद निजामुद्दीन फिर वर्मा अपने परिवार में लौट गये। इसके बाद 5 जून 1969 को वर्मा छोड़ भारत आ गये। निजामुद्दीन द्वारा एक अभिलेखीय साक्ष्य दिया गया है, जिस पर सर्टिफिकेट लिखा है और 966 अंकित है।
यह प्रमाण पत्र सेना में भर्ती होने के पहचान पत्र के रूप में था। कर्नल निजामुद्दीन सच्चे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी होते हुए भी कभी भी इस प्रकार का आवेदन प्रशासन के समक्ष या शासन के स्तर पर प्रस्तुत नही किया गया कि उन्हें इसके बदले शासन व प्रशासन द्वारा लाभान्वित किया जाय। उप जिलाधिकारी सदर एवं क्षेत्राधिकारी सदर, आजमगढ़ की संयुक्त आख्या 16 जून 2016 की संस्तुति के आधार पर जिलाधिकारी ने निजामुद्दीन को स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिये जाने एवं पेंशन प्रदान करने की संस्तुति शासन को भेजी है।