यूपी के इस गांव में गूंजा प्रधान सीट सुरक्षित नहीं तो वोट नहीं का नारा
-बैनर पोस्टर के साथ आरक्षण के खिलाफ सड़क पर उतरे ग्रामीण, चुनाव वहिष्कार की दी चेतावनी
-आरोप वर्ष 1995 से अब तक कभी भी प्रधान पद को अनुसूचित जाति के लिए नहीं किया गया आरक्षित
-जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप ग्रामीणों ने सीट का आरक्षण बदलने की मांग की

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण की सूची जारी हुए 48 घंटे भी नहीं हुए इसपर विवाद शुरू हो गया है। आरक्षण से नाराज अहरौला ब्लाक के शमसाबाद के ग्रामीणों ने गुरुवार को पोस्टर बैनर के साथ प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रधान सीट सुरक्षित नही तो वोट नहीं का नारा जमकर लगाया गया। इसके बाद ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंच कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप आरक्षण में बदलाव न होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी।
आरक्षण को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश दिखा। उन्होंने प्रशासन पर जान बुझकर दबाव में सीट को सामान्य करने का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1995 में जब से पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू हुआ है, तब से ग्राम पंचायत शमसाबाद कभी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है। इस बार के पंचायत चुनाव के लिए उक्त सीट सामान्य कर दिया गया है। जबकि उक्त सीट वर्ष 1995 से पहले लगातार सामन्य थी। वर्ष 2015 में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित जरूर की गयी थी। इसके बाद फिर सामन्य कर दिया।
नए शासना देश के मुताबिक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होनी चाहिए थी लेकिन प्रशासन ने जानबूझकर सीट को सामान्य कर दिया। गांव की किस्मती, पार्वती, विवेक आदि ने जब से ग्राम पंचायत के लिए आरक्षण शासनादेश लागू हुआ है तब से आज तक इस ग्राम पंचायत को कभी सुरक्षित सीट नहीं किया गया। इसलिए इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होनी चाहिए। अगर प्रशासन हमारी मांग नहीं मानता है और सीट आरक्षित नहीं की जाती है तो हम ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
BY Ran vijay singh
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