बता दें कि वर्ष 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को नई पेंशन का लाभ मिलना है लेकिन जो लोग पहले से तैनात हैं उन्हें पुरानी पेशन की सुविधा मिलेगी। विभाग के लोगों ने शिक्षकों को कैटेगरी के आधार पर बांट रखा है। पुरानी पेंशन (ओपीएस) और जीपीएफ कटौती वाले शिक्षकों को विभाग एक कैटेगरी में रखता है। जबकि नेशनल पेंशन स्कीम के शिक्षकों को दूसरी कैटेगरी में रखता है। विभाग के पास जब वेतन का बजट आता है तो सबसे पहले वह ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत आने वाले शिक्षकों को देता है। जब बजट बचता है तो एनपीएस वालों को दिया जाता है।
इस बार दशहरा पर भी ऐसा ही किया गया। विभाग ने बाकी शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर वेतन दे दिया लेकिन एनपीएस शिक्षकों को छोड़ दिया। बातया गया कि बजट का आभाव है। वेतन भेजने के बाद विभाग के पास करीब 50 लाख रूपये बचे थे जिससे उसने 13 ब्लाक के एनपीएस शिक्षकों को वेतन हाल में भेज दिया लेकिन 9 ब्लाक के शिक्षक आज भी वेतन की राह देख रहे हैं। विभाग के लोगों का कहना है कि उनके पास बजट नहीं है तो वे क्या कर सकते है। वहीं शिक्षकों का कहना है कि लेखाधिकारी कार्यालय के भ्रष्टाचार का वे शिकार हो रहे हैं। कारण कि ऐसा प्रदेश के किसी जिले में नहीं हो रहा है। अन्य जिलों में एक साथ वेतन भेजा जाता है।
By Ran Vijay Singh