बता दें कि, जिले में करीब 150 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है। इसके अलावा समाज कल्याण द्वारा संचालित विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन मनमाने ढंग से जारी करने, रोकने एंव समाजवादी पेंशन में घपले की शिकायते आए दिन आ रही थी। समाज कल्याण अधिकारी पर लगातार आरोप लग रहा था कि, वे घोटाले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त के रविंद्र नायक ने समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। वहीं लंगरपुर स्थित एक स्कूल के शिक्षकों के वेतन का मामला हाईकोर्ट में चल रहा था। इस मामले में कोर्ट ने शासन को वेतन जारी करने का आदेश दिया था, लेकिन शासन के आदेश को दरकिनार कर समाज कल्याण अधिकारी ने वेतन जारी नहीं किया। कोर्ट के आदेश की अवमानना होने पर प्रमुख सचिव समाज कल्याण को तलब किया गया था। इन्हीं सारे मामलों को लेकर प्रमुख सचिव ने समाज कल्याण अधिकारी को निलंबित कर दिया है। निलंबन की पुष्टि खुद मंडलायुक्त ने की है।
बता दें कि, करीब दस साल पुराना 150 करोड़ का घोटाला, जिसमें एफआईआर भी हुआ, जनहित याचिका के बाद हाईकोर्ट ने जवाब भी तलब किया, लेकिन हालात जस के तस हैं। न तो विभाग रिकवरी करा पा रहा हैं और ना ही पुलिस की विवेचना पूरी हो रही है। इस दौरान तीन सरकारें बदल चुकी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, वह कौन है जो जांच को आगे नहीं बढ़ने दे रहा। या फिर अधिकारी ही मामले में लीपापोती करने में लगे हैं।
input- रणविजय सिंह