गौर करें तो पिछले पिछले 20 दिनों में डीजल का मूल्य 73.12 रूपये से बढ़कर 82.62 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। वहीं पेट्रोल 89 रुपये लीटर बिक रहा है। डीजल का मूल्य बढ़ने का परिणाम रहा कि ट्रांसपोर्ट का खर्च काफी बढ़ गया जिसका सीधा प्रभाव सब्जियों के रेट पर पड़ा। कारण कि वर्तमान में ज्यादातर सब्जियां बाहर से आ रही हैं। ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ने से सब्जियों के मूल्य में दो से तीन गुना की वृद्धि देखी गयी। इससे आम आदमी की थाली से सब्जी दूर हो गयी। महंगाई से हर तबका परेशान नजर आया।
20 दिन पहले 28 से 30 रुपये प्रति किलो बिकने वाली प्याज कल तक 60 से 65 रुपये किलो बिक रहा था। वहीं मिर्ची 20 रुपये प्रति किलों से 60 रुपये प्रति किलों हो गयी है। करैला 60, नेनुआ 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अदरक 40 रुपये किलों से बढ़कर 60 से 70 रुपये किलो बिक रही है। लहसुन 80 से सीधे 140 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। भारी महंगाई के बीच आज लोगों को थोड़ी सी राहत मिली है। नासिक व पूने से प्याज आनी शुरू होने के बाद इसके रेट में भारी गिरावट आई है।
नासिक की सफेद छिलके वाली प्याज 35 रुपये किलो तो पूना की प्याज काली छिलके वाली प्याज 40 रुपये किलो बिक रही ही। इससे आम आदमी को थोड़ी राहत मिली है। प्याज का मूल्य कम होने पर पंकज मौर्य, अमरनाथ सिंह, सतीष विश्वकर्मा, नायब यादव, हरि प्रसाद आदि का कहना है कि प्याज का मूल्य कम होने से थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन अन्य सब्जियों के दाम पर भी नियंत्रण होना चाहिए। जब तक दूसरी सब्जियोें के दाम कम नहीं होते आम आदमी की परेशानी दूर होने वाली नहीं है।
BY Ran vijay singh