बता दें कि भंसाली की फिल्म पद्मावती का नाम पद्मावत करने के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आजमगढ़ मंड़ल के तीनों जिलों आजमगढ़, मऊ और बलिया में राष्ट्रीय करणी राजपूत सेना व कई क्षत्रिय संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। आजमगढ़ में तो फिल्म रिलीज होने के दो दिन पहले ही यानी 23 जनवरी को समस्त हिंदू संगठनों और करणी सेना के लोगों ने मुरली सिनेमा हॉल के प्रबंधक विजय सिंह व विशाल सिनेमा हॉल के प्रबंधक विवेक तिवारी से लिखित आश्वासन ले लिया था कि वे अपने सिनेमा हॉल में पद्मावत फिल्म का प्रदर्शन नहीं करेंगे। ऐसे में यहां 25 जनवरी को किसी तरह की सरगर्मी नहीं दिखी। पुलिस भी निश्चित दिखी।
वहीं बलिया में भी किसी सिनेमा हॉल में फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया गया। कारण कि यहां बीजेपी सांसद और विधायक भी फिल्म के विरोध में शामिल हो गये थे। माना जा रहा है कि प्रशासन और सिनेमा हॉल मालिक किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते थे।
मऊ जिला मुख्यालय पर स्थित संगीत सिनेमा हॉल में पद्मावत फिल्म का प्रदर्शन किया गया। यहां सुबह से ही भारी संख्या में फोर्स तैनात रही। पुलिस किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार नजर आयी। यह अलग बात है कि विरोध करने वाले शाम 3.30 बजे तक कहीं नजर नहीं आये। पुलिस के लिए यह राहत भरी बात रही। वैसे पद्मावत आम आदमी के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
तमाम विरोध के बाद भी मऊ सिनेमा हॉल में शो का हाउस फुल होना इसका प्रमाण है। माना जा रहा है विवाद से कहीं न कहीं फिल्म बनाने वालों को ही फायदा पहुंचा है। कारण कि एक बड़ा तबका फिल्म देखकर यह जानने के लिए उत्सुक है कि आखिर इसमें ऐसा है क्या जिसका विरोध हो रहा है। ऐसे में फिल्म जब भी प्रदर्शित हो देखने वालों की भीड़ उमड़नी तय है।
BY- RANVIJAY SINGH