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पत्रिका परिचर्चाः संघर्ष से ही मिलेगा आजमगढ़ को विश्वविद्यालय

locationआजमगढ़Published: Mar 13, 2016 10:10:00 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

सदन में मामला तो व्यवस्था का प्रश्न, औचित्य का नहीं,  सठियांव में उठा था सवाल, यहीं मिलेगा का जवाब

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आजमगढ़. विश्वविद्यालय अभियान के तहत रविवार को शहर के शारदा चौराहा स्थित एक होटल के सभागार में आजमगढ़ में विश्वविद्यालय के औचित्य विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कई संगठनों ने भाग लिया। सभी संगठनों ने एक स्वर से विश्वविद्यालय स्थापना की मांग का समर्थन किया। साथ में एक आंदोलन खड़ा करने का निर्णय लिया। लोगों ने दो टूक कहा कि कुर्सी हिलेगी तभी सत्ता के समझ में आयेगा। सठियांव में ही सरकार ने विश्वविद्यालय की घोषणा की थी। मिल के उद्घाटन के समय वहीं पर मुख्यमंत्री को इसका जवाब देना होगा कि आजमगढ़ में विश्वविद्यालय का औचित्य क्यों नहीं। साथ ही लोगों ने युवाओं से आह्वान किया कि एकजुट होकर संघर्ष करें। 
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परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे शिब्ली एकेडमी के सीनियर फेलो उमैर सिद्दिकी नदवी ने कहा कि विश्वविद्यालय आजमगढ़ का हक है। शिक्षा, साहित्य, कला के क्षेत्र में जिले की अलग पहचान है। सरकार ने जिस तरह से विश्वविद्यालय की घोषणा कर अपने वादे से मुकर गयी और अब औचित्य पर सवाल खड़ा कर रही है, यह सरासर गलत है। आज के दौर में हक मांगने से नहीं, छीनने से मिलता है। जिले के युवाओं को संगठित होकर सत्ता को अपनी ताकत दिखानी होगी। सेंट्रल बार एसोसिएशन के मंत्री अनिल कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना नितांत आवश्यक है। अत्यधिक कालेजों के बोझ के चलते पूर्वांचल विश्वविद्यालय में जो दुर्व्यवस्था है उसका दुष्परिणाम इससे सम्बद्ध सभी कालेजों के छात्र भुगत रहे हैं। हम सरकार से भीख नहीं मांग रहे हैं बल्कि हक मांग रहे हैं। 

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सरकार के मुखिया ने जिस मंच से विश्वविद्यालय की घोषणा की थी उसी मंच से यह घोषणा करे कि विज्ञापन एक छलावा था। इसके बाद हम विश्वविद्यालय की मांग नहीं उठायेंगे। समाजिक कार्यकर्ता बिजेंद्र सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की घोषणा तो सरकार कर चुकी है। अब हमें सरकार पर दबाव बनाकर विश्वविद्यालय की नींव रखवानी है और इसके लिए याचना नहीं संघर्ष की जरूरत है। पूर्वांचल विकास आंदोलन के संयोजक प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि आजमगढ़ में विश्वविद्यालय के औचित्य पर सवाल खड़ा करना, आजमगढ़ पर सवाल खड़ा करना है। सरकार को यह बताना होगा कि अगर हम दस में नौ दे सकते हैं तो नौ से शून्य पर भी पहुंचा सकते हैं। जब कुर्सी हिलती दिखाई देगी तो सरकार हमारी बात सुनने के लिए बाध्य होगी। यह तभी संभव है जब हम एकजुट हों। समाजिक कार्यकर्ता बृजेश यादव ने कहा कि आजमगढ़ साहित्य, शिक्षा और कला के क्षेत्र में सदैव ही समृद्ध रहा है। जहां तक बात विश्वविद्यालय की है तो जिले में दो सौ से अधिक महाविद्यालय हैं। यूजीसी का मानक भी यही है। इसके बाद भी औचित्य पर सवाल खड़ा करना सरकार की मंशा को दर्शाता है। 
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भारत रक्षा दल के हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार की मंशा उसके मंत्री के बयान से ही जाहिर होती है। सरकार नहीं चाहती कि लोग पढ़े-लिखें और आगे बढ़ें। कारण कि जिस दिन लोग शिक्षित हो जायेंगे उस दिन अनपढ़ों को अपना प्रतिनिधित्व नहीं सौंपेंगे। भारद के जिलाध्यक्ष उमेश सिंह गुड्डू ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए हर लड़ाई लड़ने के लिए संगठन तैयार है। व्यापार मण्डल के पद्माकर लाल वर्मा घुट्टूर ने कहा कि विश्वविद्यालय आज जिले की सबसे बड़ी जरूरत है। विश्वविद्यालय की स्थापना होने से प्रतिभा का पलायन रूकेगा। इसके लिए हर लड़ाई में व्यापारी संगठन कंधे से कंधा मिला कर चलेंगे। शिब्ली कालेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के मुद्दे पर छात्रों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। छात्र नेता हरिकेश यादव ने कहा कि इस लड़ाई में छात्रों को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। कुश्ती संघ के जिलाध्यक्ष राधा मोहन गोयल ने कहा कि विश्वविद्यालय की लड़ाई तेज करने की जरूरत है। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि 2017 से पहले विश्वविद्यालय की नींव पड़ जाय। छात्र सेना के अध्यक्ष राजनरायन यादव ने कहा कि आजमगढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए छात्र सेना कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार है। 
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समाजसेवी अयूब वफा ने कहा कि विश्वविद्यालय की लड़ाई हम सब की लड़ाई है। इसे एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है। माध्यमिक शिक्षक संघ के डा. रवींद्र नाथ राय ने कहा कि विश्वविद्यालय की लड़ाई में युवाओं को आगे आने की जरूरत है।
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 इस मौके पर बृजेश सिंह, अनिल कुमार सिंह, जितेंद्र यादव, डा.शिवानन्द यादव, जितंेद्र यादव, मो.आरिफ, विवेक गुप्ता, डा.जेपी मिश्रा, डा.सफीउज्जमा, इसरार अहमद एडवोकेट, रविश यादव, अमलेश सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह राजू, सुमित उपाध्याय, चंद्रजीत सिंह, रमेश कौशिक, विजय प्रकाश, महेंद्र सिंह, आशीश कुमार मिश्रा, निशीथ रंजन तिवारी, ब्रजेश यादव, मिथिलेश पांडेय, मनोज कुमार यादव, बृजभूषण रजक, शिवम सोनी, राहुल रस्तोगी, सोनू सेठ, सुरेंद्र यादव, डा. अनिल कुमार यादव, डा.मो.आरिफ, रतन प्रकाश आदि उपस्थित रहे। परिचर्चा का संचालन जूही श्रीवास्तव ने किया।
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